संजय राऊत बोले - 17 मिनट में तोड़ दी थी बाबरी, कानून बनाने में कितना समय लगता है

Sanjay Raut says, we demolished Babri in 17 mins
संजय राऊत बोले - 17 मिनट में तोड़ दी थी बाबरी, कानून बनाने में कितना समय लगता है
संजय राऊत बोले - 17 मिनट में तोड़ दी थी बाबरी, कानून बनाने में कितना समय लगता है
हाईलाइट
  • राष्ट्रपति भवन से लेकर यूपी तक बीजेपी की सरकार है। राज्य सभा में कई ऐसे लोग हैं जो राम मंदिर के साथ खड़े रहेंगे।
  • लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है।
  • शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा
  • ''हमने 17 मिनट में बाबरी तोड़ दी थी तो कानून बनाने में कितना समय लगता है?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 2019 में लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों से पहले एक बार फिर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई है। इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ""हमने 17 मिनट में बाबरी तोड़ दी थी तो कानून बनाने में कितना समय लगता है? राष्ट्रपति भवन से लेकर यूपी तक बीजेपी की सरकार है। राज्य सभा में कई ऐसे लोग हैं जो राम मंदिर के साथ खड़े रहेंगे। जो विरोध करेगा उसका देश में घूमना मुश्किल होगा।"" 

संजय राउत का ये बयान अयोध्या में आयोजित होने जा रही धर्मसभा से दो दिनों पहले आया है। संतो की अपील पर बुलाई गई इस धर्मसभा में तमाम हिंदूवादी संगठन भी शामिल हो रहे है। जिसमें विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल प्रमुख हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे भी 25 नवंबर को अयोध्या पहुंचने वाले हैं। दावा है कि इस धर्मसभा में 2 लाख से ज्यादा लोग इकट्ठा हो सकते हैं। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के 26 वर्षों बाद यह पहला मौका है जब अयोध्या में इतनी बड़ी तादाद में लोग इकट्ठा होंगे।

उद्धाव  ठाकरे शनिवार को कलश लेकर मुंबई से आयोध्या के लिए रवाना होंगे। ठाकरे शिवाजी की जन्मभूमि से मिट्टी को कलश में भरकर अपने साथ लाएंगे जिसे राम जन्मभूमि स्थल के महंत को सौंपेंगे। इसके साथ ही साधु-संतों के साथ इस मामले पर बैठक भी करेंगे। ठाकरे रामलला के दर्शन करने के साथ ही सरयू तट पर पूजा करेंगे।

शिवसेना प्रमुख के अयोध्या पहुंचने के राजनीतिक मायने हैं। दरअसल, राम मंदिर निर्माण के मुद्दे के जरिए शिवसेना अपनी खोई हुई जमीन हासिल करना चाहती है। 1992 में बाबरी विध्वंस के बाद शिवसेना की छवि कट्टर हिंदूवादी दल की बन गई थी और उसे चुनावों में इसका फायदा भी मिला था। ऐसे में एक बार फिर शिवसेना ने राजनीतिक जमीन तलाशने के लिए अयोध्या का रुख कर लिया है। 

Created On :   23 Nov 2018 5:28 PM IST

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