हिंदू विरोधी है बीजेपी, SC-ST एक्ट से टूटेगा भारतीय समाज : शंकराचार्य
- देश में जारी SC-ST एक्ट मुद्दा सवर्णों और साधु-संतों के विरोध के बाद अब और भी तेज होता दिख रहा है।
- शंकराचार्य ने बीजेपी और पीएम मोदी को हिंदू विरोधी बताया है।
- साथ ही शंकराचार्य ने कहा है कि SC-ST एक्ट सिर्फ भारतीय समाज को तोड़ने का ही काम करेगा।
डिजिटल डेस्क, मथुरा। देश में जारी SC-ST एक्ट मुद्दा सवर्णों और साधु-संतों के विरोध के बाद अब और भी तेज होता दिख रहा है। द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भी इसी मुद्दे पर बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी, पीएम नरेंद्र मोदी और पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को भी आड़े हाथों लिया है। शंकराचार्य ने बीजेपी और पीएम मोदी को हिंदू विरोधी बताया है। साथ ही कहा है कि SC-ST एक्ट सिर्फ भारतीय समाज को तोड़ने का ही काम करेगा।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा संशोधित रूप में लाया गया अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कानून (SC-ST एक्ट) भारतीय समाज में विघटन का कारण बनेगा। यह एक्ट भारतीय समाज को तोड़ने का ही काम करेगा। द्वारका-शारदापीठ की प्रतिनिधि डॉ. दीपिका उपाध्याय द्वारा शंकराचार्य की ओर से जारी ब्यान के अनुसार उन्होंने बीजेपी की भी निंदा की है। स्वरूपानंद इस समय वृन्दावन के अटल्ला चुंगी स्थित उड़िया आश्रम में चातुर्मास प्रवास पर हैं।
SC-ST एक्ट को समाज के लिए घातक बताते हुए शंकराचार्य ने कहा, "अच्छे और बुरे लोग तो सभी जातियों में होते हैं। ऐसे में यह कानून एक खतरनाक हथियार साबित होगा। जिसमें कि कहने मात्र से दूसरों को जेल हो जाए, यह अनुचित है। इससे लोगों में एक-दूसरे के प्रति घृणा बढ़ेगी। हम भी चाहते हैं कि दलित वर्ग का कल्याण हो, उनके साथ भेदभाव न हो, लेकिन इस कानून से वर्ग भेद होगा और देश बहुत पीछे चला जाएगा।"
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2018 में एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इन मामलों में ऑटोमेटिक गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे एक्शन लेना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के विरोध के बाद मोदी सरकार ने अगस्त में संसद के जरिए कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
इस तरह सरकार ने पलटा कोर्ट का आदेश
एससी/एसटी संशोधन विधेयक 2018 के तहत पुराने कानून को फिर से लागू करते हुए सरकार ने मूल कानून में धारा 18ए को जोड़ दिया था। धारा 18ए के अनुसार यदि कोई इस कानून का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है और ना ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से अनुमति लेने की जरूरत है।
Created On :   8 Sept 2018 5:30 PM IST