एसएफजे की 7 देशों में भारतीय मिशनों के बाहर रेफरेंडम 2020 कैम्प लगाने की योजना (आईएएनएस विशेष)

SFJ plans to set up Referendum 2020 camps outside Indian missions in 7 countries (IANS Special)
एसएफजे की 7 देशों में भारतीय मिशनों के बाहर रेफरेंडम 2020 कैम्प लगाने की योजना (आईएएनएस विशेष)
एसएफजे की 7 देशों में भारतीय मिशनों के बाहर रेफरेंडम 2020 कैम्प लगाने की योजना (आईएएनएस विशेष)
हाईलाइट
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नई दिल्ली, 29 जुलाई (आईएएनएस)। खालिस्तान समर्थक प्रतिबंधित सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) समूह ने 5 अगस्त को अपने अलगाववादी एजेंडे रेफरेंडम 2020 (जनमत संग्रह 2020) के लिए अमेरिका और ब्रिटेन सहित सात देशों में भारतीय दूतावासों के सामने मतदाता पंजीकरण शिविर लगाने की योजना बनाई है।

पिछले साल जुलाई में रेफरेंडम 2020 का समर्थन करने के कारण गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंधित किए गए राष्ट्र-विरोधी समूह के बारे में पता चला है कि इसने इसी तरह का कैम्प 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कनाडा, इटली, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया और जर्मनी में भी लगाने की योजना बनाई है।

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इन देशों में दूतावासों को अलर्ट पर रहने की चेतावनी दी है।

जानकारी के अनुसार, एसएफजे के अटॉर्नी और जनरल काउंसल गुरपतवंत सिंह पन्नून कनाडा और अन्य पश्चिमी देशों में भारतीय वाणिज्य दूतावासों के सामने 15 अगस्त के मतदाता पंजीकरण कैम्प के संबंध में समन्वय के लिए कनाडा की राजधानी ओटावा में डेरा डाले हुए है।

हाल ही में, कनाडा में पन्नून की अगुवाई वाले एसएफजे ने कनाडा में भारतीय तिरंगा जलाया और अवशेषों को ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त को मेल किया।

समूह ने दावा किया है कि भारतीय तिरंगे के अवशेषों को भारत को यह याद दिलाने के लिए एक प्रतीकात्मक संकेत के रूप में ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया को मेल किया कि कनाडा खालिस्तान को भारत के विपरीत एक राजनीतिक अभिमत मानता है।

पिछले हफ्ते कनाडा के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने एसएफजे के रेफरेंडम 2020 अभियान को अस्वीकार कर दिया और कहा, कनाडा भारत की संप्रभुता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है, और कनाडा की सरकार जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देगी।

4 जुलाई से समूह ने पंजाब, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर को अलग-अलग पोर्टलों के माध्यम से रेफरेंडम 2020 के लिए अपना ऑनलाइन मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए चुना, लेकिन कथित तौर पर समर्थन नहीं जुटा सका।

दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में रेफरेंडम के लिए मतदाता पंजीकरण शुरू करने के लिए समूह ने दो बार कनाडाई साइबर स्पेस का इस्तेमाल किया है।

एसएफजे गतिविधियों को संवैधानिक रूप से संरक्षित बताते हुए, पन्नून ने कहा कि कनाडा की सरकार ने कनाडा की धरती पर रेफरेंडम 2020 की गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं किया है और न ही कर सकती है।

एसएफजे नेता ने यह भी धमकी दी कि खालिस्तान रेफरेंडम का कनाडा से प्रचार जारी रहेगा और रेफरेंडम 2020 के लिए कनाडा भर में पोलिंग नवंबर में तय कार्यक्रम के अनुसार होगा।

पन्नून उन नौ खालिस्तान समर्थकों में से है जिन्हें इस महीने की शुरुआत में भारत सरकार ने आतंकवादी के रूप में घोषित किया था।

Created On :   29 July 2020 6:00 PM IST

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