खून से सने पैड लेकर जब दोस्त के घर नहीं जाते तो मंदिर क्यों जाना: स्मृति

खून से सने पैड लेकर जब दोस्त के घर नहीं जाते तो मंदिर क्यों जाना: स्मृति
हाईलाइट
  • सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश मामले में स्मृति ईरानी का विवादित बयान
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाएं नहीं कर पाईं प्रवेश
  • स्मृति ईरानी ने कहा- खून से सने पैड लेकर मंदिर क्यों जाना?

डिजिटल डेस्क, मुंबई। केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट खुलकर बंद भी हो गए, लेकिन 10 से 50 वर्ष की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के पक्ष में फैसला आने के बाद भी मंदिर प्रांगण में महिलाओं का प्रवेश वर्जित ही रहा। इस मुद्दे पर जब केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से सवाल किया गया तो उनका जवाब भी चौंकाने वाला रहा। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जब आप खून से सने सेनेटरी नैपकिन लेकर अपने दोस्तों के घर नहीं जाते तो फिर उन्हें भगवान के मंदिर में क्यों ले जाना?

स्मृति ने कहा, "मुझे मंदिर में प्रार्थना करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें अपवित्र करने का नहीं। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकती। मैं एक केन्द्रीय मंत्री हूं। बस यह कहना चाहूंगी कि क्या आप खून से सने सेनेटरी नैपकिन लेकर अपने दोस्तों के घर जाते हैं? नहीं..तो भगवान के मंदिर में उन्हें क्यों ले जाना?"

 

 

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पिछले चार सप्ताह से केरल में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। सबरीमाला में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के फैसले के खिलाफ हुए इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश को सही ठहराया था। कोर्ट के फैसले के अनुसार अब हर उम्र की महिलाएं मंदिर में जाने के लिए स्वतंत्र है। 

इससे पहले मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। मंदिर के इस नियम के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत मांगी थी। इस याचिका पर केरल हाई कोर्ट ने सुनवाई कर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक को सही माना था। इसके बाद केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

पिछले साल सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी और बाद में इसे संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। CJI की अध्यक्षता में संवैधानिक बेंच ने इस याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर 17 जुलाई से 1 अगस्त तक लगातार सुनवाई की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में फैसला दिया था।

Created On :   23 Oct 2018 5:50 PM IST

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