अकबर ने जिसे जिंदा चुनवाया, वही अनारकली मैडम तुसाद में होगी जिंदा- जानिए कैसे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यहां के मैडम तुसाद म्यूजियम में एक बार फिर जिंदा होगी मुगल-ए-आजम की अनारकली यानि मधुबाला। अपने जमाने की क्लासिकल अदाकारा मधुबाला का एक मोम का पुतला जल्दी ही मैडम तुसाद में लगाया जाएगा। अभिनेत्री की मोम की अनुकृति क्लासिक फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में उनके प्रसिद्ध किरदार अनारकली पर ही आधारित होगी। यह पहला अवसर है, जब हिंदुस्तान के क्लासिकल दौर की किसी हस्ती को इस गैलरी में प्रदर्शित किया जा रहा है।
मधुबाला का फिल्मी सफर
मधुबाला ने अपना फिल्मी सफर बसन्त (1942) में 'बेबी मुमताज़' के नाम से शुरू किया था। इसके बाद चलती का नाम गाड़ी, मि. एंड मिसेस 55, काला पानी और हावड़ा ब्रिज में काम किया। देविका रानी 'बसन्त' में उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुईं। इसके बाद उनका नाम मुमताज़ से बदल कर 'मधुबाला' रख दिया। उन्हें बॉलीवुड में अभिनय के साथ-साथ अन्य तरह के प्रशिक्षण भी दिए गए।
मधुबाला के अभिनय में आदर्श भारतीय नारी की झलक
मधुबाला का जन्म 14 फरवरी, 1933 को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार में हुआ था. मधुबाला अपने माता-पिता की पांचवीं संतान थी और उनके अलावा उनके 10 भाई-बहन थे। मधुबाला ने 1952 में एक लोकप्रिय अमेरिकी पत्रिका में अंतर्राष्ट्रीय पहचान हासिल की थी। 2008 में इंडियन पोस्ट ने मधुबाला की एक स्मारक डाक टिकट जारी की था। 1969 में उनकी 36 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी।
दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित इस म्यूजियम में पीएम नरेंद्र मोदी, अभिनेता अमिताभ बच्चन, क्रिकेट तेंदुलकर सचिन तेंदुलकर और अमेरिकी पॉप स्टार लेडी गागा का पुतला भी मैडम तुसाद में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। मैडम तुसाड्स की दिल्ली में 22वीं ब्रांच है। यह मूल रूप से लंदन में स्थापित मोम की मूर्तियों का संग्रहालय है। इस म्यूजियम में विभिन्न क्षेत्रों की मशहूर हस्तियों के मोम के पुतले रखे जाते हैं. इसकी स्थापना 1835 में मोम शिल्पकार मेरी तुसाद ने की थी।
Created On :   25 July 2017 7:58 PM IST