2G केस देश के लिए गंभीर मामला, 6 महीने के अंदर जांच पूरी करें : SC

Supreme Court directs CBI ED to complete investigation in 6 months in 2G Case
2G केस देश के लिए गंभीर मामला, 6 महीने के अंदर जांच पूरी करें : SC
2G केस देश के लिए गंभीर मामला, 6 महीने के अंदर जांच पूरी करें : SC

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2G केस से जुड़ी जांच पूरी नहीं होने पर CBI और ED को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने इस केस से जुड़ी सभी जांच पूरी करने के लिए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) और इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ED) को 6 महीने तक का वक्त दिया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की हेड वाली बेंच ने कहा कि "2G केस देश के लिए गंभीर मामला है। देश जानना चाहता है कि अब तक इस केस की जांच पूरी क्यों नहीं हुई।" कोर्ट ने जांच एजेंसियों से कहा कि वो इस केस की जांच 6 महीने के अंदर पूरी करें। 

देश को अंधेरे में नहीं रख सकते : SC

जस्टिस अरुण मिश्रा की हेड वाली बेंच ने 2G केस में अब तक जांच पूरी नहीं होने पर CBI और ED को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि "आप देश को अंधेरे में नहीं रख सकते। ये केस देश के लिए गंभीर है। देश जानना चाहता है कि इस केस में अब तक जांच पूरी क्यों नहीं हुई? हम इस मामले पर चिंतित हैं और नाखुश भी।" बेंच ने आगे कहा कि "जांच एजेंसियों को 2G स्पेक्ट्रं केस से जुड़े सभी मामलों की जांच पूरी करने के लिए 6 महीने का समय देते हैं। इस केस की जांच को 6 महीने के अंदर-अंदर पूरी करने की हर कोशिश की जानी चाहिए।"

2G केस में क्या था कोर्ट का फैसला?

पिछले साल 22 दिसंबर को दिल्ली की CBI कोर्ट ने 2G केस पर फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। 2G घोटाले में पूर्व टेलीकॉम मिनिस्टर ए. राजा और डीएमके नेता कनिमोझी समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसके अलावा 3 टेलीकॉम कंपनियों का नाम भी इस घोटाले में शामिल थे। कोर्ट ने इन सभी लोगों और कंपनियों पर लगे आरोपों को हटा दिया था और बरी कर दिया था। फैसला सुनाते वक्त कोर्ट के जज ओपी सैनी ने कहा था कि "पूरा केस सिर्फ अफवाहों पर ही आधारित है। पिछले 7 साल से मैं सबूतों का इंतजार कर रहा था, लेकिन सारी उम्मीदें बेकार साबित हुईं। इतने सालों में एक भी सबूत सामने नहीं आया। लिहाजा सभी को बरी किया जाता है।" 

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क्या है 2G स्पेक्ट्रम केस? 

कथित 2G घोटाले को देश के चर्चित घोटालों में गिना जाता है। इस घोटाले का खुलासा 2010 में आई CAG की रिपोर्ट में किया गया था। उस वक्त विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में 2008 में बांटे गए स्पेक्ट्रम पर सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में कहा गया था कि स्पेक्ट्रम को नीलामी की बजाय "पहले आओ, पहले पाओ" की पॉलिसी पर लाइसेंस दिए गए, जिससे सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि अगर ये लाइसेंस नीलामी के आधार पर बांटे जाते, तो ये रकम सरकारी खजाने में जाती। इसके बाद 2011 में पहली बार इस घोटाले में कोर्ट ने 17 आरोपियों को दोषी मानकर 6 महीने की सजा सुनाई गई थी।

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हिल गई थी पूरी मनमोहन सरकार

2010 में इस घोटाले ने पूरी मनमोहन सरकार को हिलाकर रख दिया था। इस घोटाले में CAG ने सीधे-सीधे सरकार पर आरोप लगाया था कि इस घोटाले की वजह से सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। हालांकि, CAG की इस रिपोर्ट पर भी कई सवाल उठाए गए थे, लेकिन ये उस वक्त का बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया था और सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले को लेकर पिटीशन फाइल की गई थी। भारत में हुए अब तक के घोटालों में 2G स्पेक्ट्रम घोटाले को सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है। इस घोटाले ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और फाइनेंस मिनिस्टर पी. चिदंबरम पर भी सवाल खड़े कर दिए थे। CAG ने अपनी रिपोर्ट में ए. राजा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने साल 2001 में तय की गई दरों पर स्पेक्ट्रम बेच दिए, जिसमें उनकी पसंदीदा कंपनियों को तरजीह दी गई। इसके अलावा तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को भी जेल जाना पड़ा था। हालांकि बाद में इन दोनों को ही जमानत दे दी गई थी। इस घोटाले में कई बड़े नेताओं और बड़ी कंपनियों का नाम सामने आया था, जिससे भारत की इमेज को भी नुकसान पहुंचा था।

Created On :   13 March 2018 8:50 AM IST

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