न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी पर प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

Supreme Court notice to Prashant Bhushan for comment against judiciary
न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी पर प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
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नई दिल्ली, 22 जुलाई (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर पर कथित रूप से न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में वकील प्रशांत भूषण को बुधवार को नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने अटॉर्नी जनरल से इस मामले में सहायता करने के लिए भी कहा।

अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित ट्विटर इंक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पूवैया ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह अपने मुवक्किल को आक्रामक ट्वीट हटाने की सलाह देंगे।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने भूषण और ट्विटर को पांच अगस्त तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

पीठ ने ट्विटर से सवाल किया कि अवमानना की कार्रवाई शुरू होने के बाद भी वह खुद ट्वीट को डिलीट क्यों नहीं कर सकती। ट्विटर के वकील ने जवाब दिया कि वह इस मामले को समझते हैं और अपने मुवक्किल को अदालत की इच्छा से अवगत कराएंगे।

उन्होंेने आगे जोर देकर कहा कि ट्विटर अदालत के निर्देश के बिना ट्वीट नहीं डिलीट कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए ट्विटर पर शीर्ष अदालत के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए भूषण के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू की है।

भूषण के खिलाफ यह कदम कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में उठाया गया है।

भूषण ने पहले ट्वीट में कहा था, जब इतिहासकार भविष्य में पिछले छह वर्षों की ओर मुड़कर देखेंगे कि कैसे औपचारिक आपातकाल के बिना भी भारत में लोकतंत्र नष्ट हो गया है, तो वे विशेष रूप से इस विनाश में सुप्रीम कोर्ट की भूमिका को चिन्हित करेंगे, और विशेष रूप से अंतिम चार प्रधान न्यायाधीशों की भूमिका को चिन्हित करेंगे।

और 29 जून को दूसरे ट्वीट में कथित तौर पर उन्होंने कहा था कि मौजूदा प्रधान न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत को लॉकडाउन में रखते हुए नागपुर में एक बाइक की सवारी की और नागरिकों को न्याय के लिए उनके अधिकार से वंचित कर दिया।

शीर्ष अदालत लॉकडाउन अवधि में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सभी मामलों की सुनवाई कर रही है।

Created On :   22 July 2020 9:30 AM GMT

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