सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र और राज्य के बीच दोषारोपण कोई समाधान नहीं

Supreme Court said that the blame game between the Center and the state is not a solution
सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र और राज्य के बीच दोषारोपण कोई समाधान नहीं
पीएम की सुरक्षा में चूक सुप्रीम कोर्ट ने कहा केंद्र और राज्य के बीच दोषारोपण कोई समाधान नहीं
हाईलाइट
  • तथ्यों को संरक्षित और सुरक्षित रखें SC

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में सेंध को लेकर किसी भी तरह की चूक के विनाशकारी और गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के संबंध में यह स्पष्ट है कि एकतरफा जांच, चाहे वह राज्य सरकार की ओर से हो या केंद्र की ओर से, सुरक्षा कारणों से जुड़े सवालों को हल करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी। इसके साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र और राज्य के बीच दोषारोपण कोई समाधान नहीं है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली के साथ ही प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 5 जनवरी को पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक के मामले की जांच के लिए शीर्ष अदालत की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में एक जांच समिति का गठन किया।

पंजाब में एक चुनावी रैली से पहले पीएम नरेंद्र मोदी की गाड़ियों का काफिला फिरोजपुर फ्लाईओवर पर फंस जाने पर अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट में लॉयर्स वॉयस नाम के एक संगठन ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक का गंभीर मामला बताते हुए याचिका दायर की है। केंद्र सरकार ने भी इस याचिका का समर्थन किया है। केंद्र सरकार ने इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की गाड़ी के करीब 20 मिनट तक फ्लाइओवर पर फंसे रहने के लिए पंजाब सरकार और प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया था।

अदालत ने आगे कहा अतिरिक्त उद्देश्य किसी भी मानवीय त्रुटि, लापरवाही या किसी भी जानबूझकर चूक या कमीशन से बचना है, जो किसी विशेष राज्य में यात्रा करते समय राष्ट्र के कार्यकारी प्रमुख की सुरक्षा और सुरक्षा को बाधित या उजागर कर सकता है। इस संबंध में किसी भी चूक के विनाशकारी और गंभीर परिणाम हो सकते हैं। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक की जिम्मेदारी तय करने के लिए राज्य सरकार और केंद्र के बीच आरोप-प्रत्यारोप की निंदा करते हुए अदालत ने कहा, उनके बीच वाकयुद्ध कोई समाधान नहीं है। यह ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर प्रतिक्रिया करने के लिए एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता को कम कर सकता है।

पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता डी. एस. पटवालिया ने प्रस्तुत किया कि गृह मंत्रालय, एक तरह से, पहले से ही पंजाब सरकार के अधिकारियों को कथित लापरवाही या पीएम की सुरक्षा में चूक के लिए दोषी मान रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की किसी भी एजेंसी ने पीएम की सुरक्षा के लिए अपनी जिम्मेदारी से चूक नहीं की है, फिर भी सरकार को बदनाम करने के लिए एक बदनाम अभियान चल रहा है। पंजाब सरकार ने एक समिति गठित की थी, जिसमें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश और प्रधान सचिव, (गृह और न्याय मामलों के) - शामिल थे। उन्हें पीएम की फिरोजपुर यात्रा के दौरान हुई खामियों की गहन जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

याचिकाकर्ता लॉयर्स वॉयस एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने हालांकि कहा कि राज्य सरकार द्वारा एक जांच समिति का गठन कुछ और नहीं बल्कि अपने ही कारण से न्यायाधीश बनने का एक असफल प्रयास है। शीर्ष अदालत ने ब्लू बुक की प्रासंगिक सामग्री के साथ विशेष सुरक्षा समूह अधिनियम, 1988 के प्रावधानों का अध्ययन किया। इसने कहा, ब्लू बुक में एक स्पष्ट और विस्तृत प्रक्रिया है, जिसे राज्य के अधिकारियों और विशेष सुरक्षा समूह द्वारा देखा जाना चाहिए, ताकि प्रधानमंत्री की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके, जब वह एक राज्य का दौरा कर रहे हों।

वहीं केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सिंह के सबमिशन का समर्थन किया और विस्तृत स्वतंत्र जांच के लिए प्रार्थना की। बता दें कि लॉयर्स वॉयस संगठन की ओर से दाखिल याचिका पर पीठ ने इससे पहले शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को निर्देश दिया था कि वो सभी यात्रा रिकॉर्ड और जांच एजेंसियों को मिले तथ्यों को संरक्षित और सुरक्षित रखें। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस अधिकारियों, एसपीजी और अन्य एजेंसियों को सहयोग करने और पूरे रिकॉर्ड को सील करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था।

 

(आईएएनएस)

Created On :   12 Jan 2022 4:30 PM GMT

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