सुप्रीम कोर्ट विचाराधीन कैदियों के लिए वीसी की मांग पर 11 अक्टूबर को विचार करेगा
- अधिकारियों की सुरक्षा का ध्यान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह एक याचिका पर विचार कर सकता है, जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि निचली अदालतों के समक्ष विचाराधीन कैदियों की हर तारीख पर हाजिरी का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा का उपयोग किया जाना चाहिए। खासकर गैंगस्टर के मामले में, जनता की सुरक्षा के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित के वकील ऋषि मल्होत्रा की ओर से दायर जनहित याचिका पर 11 अक्टूबर को सुनवाई होने की संभावना है। जनहित याचिका में आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 में प्रदान किए गए वैधानिक जनादेश का पालन किए बिना नियमित अभ्यास के रूप में विचाराधीन कैदियों की हाजिरी का आदेश देने के लिए ट्रायल कोर्ट की शक्ति का मुद्दा उठाया गया है।
याचिका में कहा गया है, तत्काल जनहित याचिका का आधार भारत भर की विभिन्न निचली अदालतों को नियमित अभ्यास के रूप में प्रत्येक तारीख पर विचाराधीन कैदियों की उपस्थिति पर जोर नहीं देने से रोकना है, जिससे न केवल जनता और न्यायिक अधिकारियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। बल्कि कट्टर कैदियों को पुलिस की हिरासत से भागने का अवसर भी देता है।
याचिका में 24 सितंबर, 2021 को रोहिणी कोर्ट में हुई फायरिंग के उदाहरण का हवाला दिया गया था, जिसमें एक खूंखार गैंगस्टर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब उसे उसकी सामान्य उपस्थिति के लिए ट्रायल कोर्ट के सामने पेश किया गया था।
दलील दी गई, भारत में सभी निचली अदालतों में ऐसे कई उदाहरण हैं, जहां एक विचाराधीन कैदी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किए जाने के दौरान या तो सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डाल दिया गया है या वह विचाराधीन कैदी पुलिस को चकमा देकर भाग गया है।
आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   6 Oct 2022 10:30 PM IST