हाईकोर्ट के आदेश को बड़ी बेंच में भेजने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Supreme Courts refusal on appeal to send High Courts order to a bigger bench in Vanniyar Quota
हाईकोर्ट के आदेश को बड़ी बेंच में भेजने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार
वन्नियार कोटा हाईकोर्ट के आदेश को बड़ी बेंच में भेजने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट का इनकार
हाईलाइट
  • हाईकोर्ट ने कहा है कि उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु में वन्नियार समुदाय के लिए नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को रद्द करने के आदेश को एक बड़ी पीठ के पास भेजने की मांग की गई है।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पक्षकारों के वकील से कहा कि इस मामले पर बड़ी पीठ को विचार करने की जरूरत नहीं है।

तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मंगलवार को पीठ के समक्ष दलील दी थी कि मामले में संवैधानिक मुद्दे शामिल हैं, इसलिए बड़ी पीठ को पूछताछ करने की जरूरत पड़ सकती है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह इस बात की जांच करेगी कि क्या इस मुद्दे पर बड़ी पीठ को विचार करने की जरूरत है?

उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने के लिए पिछले साल 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और अन्य लोगों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी। हाईकोर्ट ने वन्नियार समुदाय को सबसे पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 10.5 प्रतिशत आंतरिक आरक्षण पर के कानून को रद्द कर दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा है कि उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा और कोटा के तहत पहले से लिए गए दाखिले या नियुक्तियों को सुनवाई की अगली तारीख 15 फरवरी, 2022 तक बाधित नहीं किया जाएगा।

द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार, राजनीतिक दल पीएमके और अन्य ने 1 नवंबर, 2021 को उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के आदेश को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि तमिलनाडु में शैक्षणिक संस्थानों में सीटों का विशेष आरक्षण और राज्य सरकार की सेवाओं में पदों के लिए आरक्षण के भीतर विशेष आरक्षण है, जो सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग और विमुक्त समुदाय अधिनियम, 2021 संविधान के प्रावधानों के विपरीत है।

राज्य सरकार ने विभिन्न रिपोर्टों और आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि वन्नियार पिछड़े वर्गो में सबसे अधिक पिछड़ा है।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार के पास कानून पारित करने की क्षमता का अभाव है, क्योंकि इस वर्ग को आरक्षण देने का प्रस्ताव 105वें संविधान संशोधन से पहले लाया गया था।

(आईएएनएस)

Created On :   16 Feb 2022 7:31 PM IST

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