जिरह या तो उसी दिन या अगले दिन दर्ज की जानी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट

The arguments should be filed either on the same day or the next day: Supreme Court
जिरह या तो उसी दिन या अगले दिन दर्ज की जानी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली जिरह या तो उसी दिन या अगले दिन दर्ज की जानी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट
हाईलाइट
  • स्थगित करने की शक्ति

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करते समय कोई लंबा स्थगन नहीं दिया जाना चाहिए और जिरह को उसी दिन या अगले दिन दर्ज किया जाना चाहिए।

जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस सी.टी. रविकुमार ने कहा कि कानून का जनादेश ही यह बताता है कि जिरह के बाद मुख्य जिरह को उसी दिन या अगले दिन सारी बात दर्ज कर लेना है। लंबे समय तक स्थगन नहीं रहना चाहिए।

पीठ ने कहा, हम इस स्तर पर विस्तार नहीं करना चाहते, क्योंकि मुकदमा लंबित है, लेकिन हम यह देखना चाहेंगे कि ट्रायल जज इस अदालत के फैसले को धारा 309 सीआरपीसी के संदर्भ में नोट कर सकते हैं और न केवल मुकदमे में तेजी लाएं, लेकिन मुख्य जिरह को उसी दिन या अगले दिन दर्ज किया जाना है, लेकिन अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान दर्ज करते समय कोई लंबा स्थगन नहीं दिया जाना चाहिए।

इसने यह टिप्पणी हत्या के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा एक व्यक्ति को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ को सूचित किया कि गवाहों के कैलेंडर के अनुसार, तीन चश्मदीद गवाह थे और आरोपपत्र दाखिल किया गया है और इस समय तक एक गवाह का बयान दर्ज किया गया है। इसमें लगभग तीन महीने लग गए।

पीठ ने विनोद कुमार बनाम पंजाब राज्य मामले (2015) का हवाला देते हुए कहा, जहां तक पीडब्ल्यू-2 के बयान का संबंध है, मुख्य जिरह का हिस्सा 21 सितंबर, 2022 को दर्ज किया गया था और अनुरोध के बावजूद धारा 309 सीआरपीसी के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है, जिस पर विचार किया गया है। सीआरपीसी की धारा 309 कार्यवाही को स्थगित करने या स्थगित करने की शक्ति से संबंधित है।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, कानून का स्वयं यह बताता है कि जिरह को उसी दिन या अगले दिन दर्ज किया जाना है। दूसरे शब्दों में, ऐसा नहीं होना चाहिए अभियोजन पक्ष के गवाह की जिरह की रिकॉर्डिग में स्थगन के लिए कोई भी आधार हो, भले ही मामला जैसा भी हो। मार्च में पारित एक आदेश में हाईकोर्ट ने कथित अपराधों के लिए एक व्यक्ति को जमानत दी, जिसमें हत्या के आरोप भी शामिल थे। शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होनी तय की है।

 

आईएएनएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   8 Oct 2022 8:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story