लिंचिंग शब्द देश और हिंदू समाज को बदनाम करने की कोशिश : मोहन भागवत

The term lynching seeks to discredit the country and Hindu society: Mohan Bhagwat
लिंचिंग शब्द देश और हिंदू समाज को बदनाम करने की कोशिश : मोहन भागवत
लिंचिंग शब्द देश और हिंदू समाज को बदनाम करने की कोशिश : मोहन भागवत

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को संघ के स्थापना दिवस समारोह के मौके पर कहा कि भारत में समाज की समता व समरसता की स्थिति जैसी चाहिए, वैसी अभी नहीं है। हिंसा की घटनाएं न हों, इसलिए स्वयंसेवक प्रयासरत रहते हैं। परंतु जो परंपरा भारत की नहीं है ऐसी परंपरा और घटनाओं को दशार्ने वाले लिंचिंग जैसे शब्द देकर सारे देश को व हिंदू समाज को सर्वत्र बदनाम करने का प्रयास होता है।

उन्होंने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों को आपस में सद्भावना, संवाद तथा सहयोग बढ़ाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए। समाज के सभी वर्गों का सद्भाव, समरसता, सहयोग तथा कानून संविधान की मर्यादा में ही अपने मतों की अभिव्यक्ति ही आज की स्थिति में नितांत आवश्यक है।

मोहन भागवत ने जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर सरकार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह सहित शासक दल तथा इस जन भावना का संसद में समर्थन करने वाले अन्य दल भी अभिनंदन के पात्र हैं। जन अपेक्षाओं को प्रत्यक्ष में साकार कर, जन भावनाओं का सम्मान करते हुए देशहित में उनकी इच्छाएं पूर्ण करने का साहस दोबारा चुने हुए शासन में है। धारा 370 को अप्रभावी बनाने के सरकार के काम से यह बात सिद्ध हुई है।

देश में मंदी पर भी मोहन भागवत ने राय रखी। उन्होंने कहा की आर्थिक व्यवस्था चक्र की गति में आई मंदी सर्वत्र कुछ न कुछ परिणाम देती है। अमरीका व चीन में चली आर्थिक स्पर्धा के परिणाम भी भारत सहित सभी देशों को भुगतने पड़ते हैं।

उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर कहा, स्थल सीमा तथा जल सीमाओं पर सुरक्षा सतर्कता पहले से अच्छी है। केवल स्थल सीमा पर रक्षक व चौकियों की संख्या व जल सीमा पर द्वीपों वाले टापुओं की निगरानी अधिक बढ़ानी पड़ेगी। देश के अन्दर भी उग्रवादी हिंसा में कमी आई है। उग्रवादियों के आत्मसमर्पण के मामले भी बढ़े हैं।

Created On :   8 Oct 2019 6:00 AM GMT

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