..तो मी लार्डस के अभेद्य बंगले-दफ्तर इसलिए छावनी बन गए थे!

..तो मी लार्डस के अभेद्य बंगले-दफ्तर इसलिए छावनी बन गए थे!
..तो मी लार्डस के अभेद्य बंगले-दफ्तर इसलिए छावनी बन गए थे!

नई दिल्ली, 9 नवंबर (आईएएनएस)। देश में अदालत कहीं की भी हो, घर से बाहर तक मी-लॉर्ड्स की सुरक्षा का इंतजाम चुस्त-दुरुस्त ही रहता है। इस सबके बावजूद दिल्ली में रहने वाले पांच विशेष मी-लॉर्ड्स के बंगलों का नजारा शुक्रवार को एकदम बदला हुआ था। ये पांच बंगले पहले से ही किसी अभेद्य किले से कम सुरक्षित नहीं थे। लेकिन शुक्रवार शाम इन बंगलों पर हथियारों से लैस खाकी वर्दी वालों की संख्या बढ़ने लगी, और बंगले छावनी में तब्दील हो गए।

देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर भागम-भाग में अपनी-अपनी मंजिल की ओर तेज- रफ्तार दौड़ रहे लोग बंगलों पर वर्दीधारियों की चहलकदमी को बढ़ी देख समझ रहे थे बंगले किसके हैं? इन पांच बंगलों पर ही आखिर इतनी ज्यादा तादाद में हथियारबंद जवान क्यों? यह सवाल तो तमाम राहगीरों के जहन में उभर रहे थे। सवालों के जबाब न कोई देने वाला था, न किसी को जहन में आ रहे सवालों के जबाब पाने की फुर्सत थी। मतलब वही भीड़ की दिल्ली और दिल्ली की भीड़ में सब खोए हुए भागदौड़ में शामिल थे।

इन सवालों का जबाब मिला शनिवार सुबह, जब इन बंगलों में रहने वाले भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश और चार न्यायाधीशों को कड़ी सुरक्षा में सुप्रीम कोर्ट ले जाया गया। सुप्रीम कोर्ट में सुबह से ही देश-दुनिया भर के मीडिया का जमाववाड़ा था। वजह थी, कई दशक से राजनीतिक रोटियां सेंकने की वजह बने चर्चित बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद पर आने वाला फैसला। इन्हीं पांचों न्यायाधीशों द्वारा ही शनिवार को यह अभूतपूर्व फैसला सुनाया जाना था। दिन में करीब 10.30 से 12 बजे के बीच सुनाए गए फैसले के मद्देनजर दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने सुप्रीम कोर्ट को भी किले में बदल रखा था।

दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा के लिए पूरे साल दिल्ली पुलिस एक डीसीपी (पुलिस उपायुक्त) की तैनाती करती है। डीसीपी के अधीन काफी संख्या में पुलिस बल भी होता है। इस सबके बावजूद मंदिर मामले में आने वाले फैसले के मद्देनजर जो अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजामात किए गए थे वे भी काबिल-ए-गौर थे। इन्हीं खास इंतजामों के तहत तीन डीसीपी, एक जॉइंट पुलिस कमिश्नर सहित 200 से ऊपर हथियारबंद जवानों की अलग से शनिवार को सुप्रीम कोर्ट पर तैनाती की गई थी। इनमें बहुतायत थी दिल्ली पुलिस की सुरक्षा बटालियन और नई दिल्ली जिले के पुलिसकर्मियों की। तीन कंपनी यानी करीब 225 हथियारबंद जवान दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा में अलग से और लगाए थे।

जबकि भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गगोई सहित बाकी चार अन्य न्यायाधीशों के बंगलों पर शुक्रवार शाम के वक्त ही केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने डेरा डाल दिया था। हर बंगले पर सीआरपीएफ के 15 अतिरिक्त हथियारबंद जवान विशेष तौर पर शुक्रवार-शनिवार को लगाए गए थे।

दिल्ली पुलिस अयोध्या भूमि विवाद पर आने वाले फैसले के दिन वैसे भी कोई नई मुसीबत लेने को तैयार नहीं थी। वजह दो नवंबर, 2019 यानी बीते शनिवार को उत्तरी जिले में स्थित तीस हजारी कांड से अभी दिल्ली पुलिस उबर भी नहीं पाई है। उस मामले में वकील और दिल्ली पुलिस के बीच हुई खूनी लड़ाई की जांच दिल्ली हाईकोर्ट ने एक न्यायिक आयोग के हवाले कर रखी है।

-- आईएएनएस

Created On :   9 Nov 2019 9:00 PM IST

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