ब्रह्मपुत्र नदी और बासमती चावल पर मोदी-जिनपिंग के बीच दो समझौते
- बैठक का खास उद्देश्य से भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देना है।
- 9-10 जून को होने वाली इस समिट के इतर वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले।
- पीएम मोदी शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) समिट में हिस्सा लेने चीन के किंगदाओ पहुंचे।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शंघाई को-ऑपरेशन आर्गेनाईजेशन(SCO) शिखर सम्मलेन में शामिल होने चीन के किंगदाओ शहर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। शनिवार को दोनों देशों के मुखियाओं ने द्विपक्षीय वार्ता कर दो महत्वपूर्ण समझौतों पर दस्तखत किए। जिसमे एक ब्रह्मपुत्र नदी का विद्युत् डाटा का आदान प्रदान और दूसरा चावल की गैर बासमती किस्म की खरीद का है।
यह दोनों देश के नेताओं के बीच एक साल के अंतराल में दूसरी मुलाकात है। इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अप्रैल में वुहान में संपन्न हुई 28वी अनौपचारिक शिखर सम्मलेन में मिले थे।
यूरेशियन सुरक्षा समूह द्वारा भारत को सदस्य स्वीकार कर लिया गया है। इसी के चलते नरेन्द्र मोदी शंघाई को-ऑपरेशन आर्गेनाईजेशन समिट में शामिल होने पहुंचे हैं।
क्या है समझौते में
करीब एक घंटे चली इस द्विपक्षीय मीटिंग के दौरान दो महत्वपूर्ण समझौतों पर बातचीत हुई। समझौता ज्ञापन(MoU) में विस्तार करते हुए ब्रह्मपुत्र नदी का प्रवाह डाटा के आदान प्रदान पर सहमति बनी। बता दें कि डोकलाम विवाद के चलते चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी की जानकारी साझा करना बंद कर दिया था और भारत की द्रष्टि से इस जानकारी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद चीन ब्रह्मपुत्र नदी से जुड़ी प्रवाह, विद्युत्, जलस्तर आदि की जानकारी भारत के साथ साझा करेगा। नदी विकास, जल संसाधन और गंगा पुनर्जीवन के बीच हुए इस करार के बाद चीन 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच बाढ़ के मौसम का डाटा देगा और अगर नदी के जलस्तर अगर सीमा से ऊपर बढ़ता है तो इसकी जानकारी भी चीन को देनी होगी।
दूसरे समझौते में दोनों देशों के बीच व्यापारिक सामंजस्य बनाने को लेकर चर्चा हुई, इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन को खत्म करना था। वर्तमान की बात करें तो चीन भारत से केवल बासमती चावल का आयात करता है, लेकिन इस समझौते के बाद चीन भारत से गैर बासमती चावल भी आयात करेगा। 2006 के प्रोटोकॉल का विस्तार करते हुए चीन के सीमा शुल्क प्रशासन और भारतीय कृषि विभाग के बीच हुए इस समझौते में भारत द्वारा चीन को चावल की गैर बासमती किस्म को निर्यात करने की आजादी होगी।
विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच यह मुलाकात, वुहान में हुई बातचीत का सकारात्मक मूल्यांकन है। एक तरफ जहां मोदी ने चर्चा को आपसी संबंधों और समझ को आगे बढ़ाने की द्रष्टि से मील का पत्थर बताया, वहीं दूसरी ओर जिनपिंग द्वारा इसे एक नयी शुरुआत बताया गया।
गौरतलब है कि शी जिनपिंग ने भारत में होने वाली दूसरी समिट के लिए मोदी का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है। यह शिखर सम्मेलन साल 2019 की शुरुआत में होना है।
Created On :   10 Jun 2018 12:41 AM IST