नोटबंदी :सबसे ज्यादा बेरोजगारी की बात पर नीति आयोग ने कहा रिपोर्ट हमारी नहीं
![unemployment status in so high in india after demonetisation unemployment status in so high in india after demonetisation](https://d35y6w71vgvcg1.cloudfront.net/media/2019/01/unemployment-status-in-so-high-in-india-after-demonetisation1_730X365.jpg)
- इसका मुख्य कारण यह है कि युवा अब कृषि क्षेत्र में काम करने के बजाय बाहर जाकर काम तलाश रहे हैं।
- नेशनल स्टेटिस्किल कमीशन के दो सदस्यों ने सरकार द्वारा रिपोर्ट पब्लिश न किए जाने के कारण अपने पद से इस्तीफा दे दिया
- पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रिकॉर्ड की है।
डिजिटल डेस्क दिल्ली। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस (NSSO) की देश में रोजगार से जुड़ी रिपोर्ट लीक होने के बाद सियासी घमासान छिड़ गया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1% रही है जो कि 45 साल में सबसे ज्यादा है। इस रिपोर्ट पर अब नीति आयोग का जवाब सामने आया है। आयोग ने रिपोर्ट को अपुष्ट बताया है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसी रिपोर्ट को शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला था।
नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि सरकार ने नौकरियों को लेकर ये डाटा जारी नहीं किया है। क्योंकि अभी यह प्रक्रिया में है। जब डेटा तैयार हो जाएगा तो हम इसे जारी करेंगे। उन्होंने कहा, डाटा कलेक्शन करने का तरीका अब बदल गया है। नए सर्वे में हम कंप्यूटर आधारित पर्सनल इंटरव्यूई का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में दोनो डेटा सेट की तुलना करना सही नहीं है, यह डेटा वैरिफाइड नहीं है। इस रिपोर्ट को फाइनल मानना सही नहीं होगा।
राहुल गांधी ने रिपोर्ट लीक होने के बाद कहा था, फ्यूरर (हिटलर) ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने का वादा किया था। पांच साल बाद प्रधानमंत्री का लीक हुआ जॉब क्रिएशन रिपोर्ट कार्ड ‘राष्ट्रीय त्रासदी’ के रूप में सामने आया है। बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर है। अकेले 2017-18 में 6.5 करोड़ युवा बेरोजगार थे। ये नमो के जाने का समय है।
राहुल गांधी के इस ट्वीट पर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि राहुल गांधी को मुसोलिनी की अल्पदृष्टी और मुद्दों की कम समझ विरासत में मिली है। EPFO का वास्तविक डेटा नौकरियों में तेज वृद्धि को दिखाता है, जो पिछले 15 महीनों का है। बीजेपी ने कहा केवल वहीं व्यक्ति ऐसी जिसने कभी कोई काम न किया हो और पूरी तरह बेरोजगार हो, ऐसी फर्जी खबरें फैला सकता है।
क्या कहा गया है रिपोर्ट में ?
मोदी सरकार द्वारा 2016 में हुई नोटबंदी के चलते, बेरोजगारी को लेकर यह पहला सर्वे है। इसके अंतर्गत जुलाई 2017 से लेकर जनवरी 2018 तक का डेटा लिया गया है। डेटा के अनुसार ही यह पता चला कि 1972—73 के बाद से यह अब की बेरोजगारी की सबसे ज्यादा दर है। वहीं यूपीए के दूसरे कार्यकाल के दौरान 2011—12 में बेरोजगारी की दर 2.2 फीसदी थी।
सर्वे रिपोर्टस के मुताबिक युवाओं में बेरोजगारी की दर सबसे ज्यादा है। 15 से 29 साल के युवाओं में बेरोजगारी की दर बढ़कर 17.4 फीसद हो गई। वहीं ग्रामीण इलाकों में अगर महिलाओं की बात की जाए तो उनका बेरोजगारी प्रतिशत 4.8 से बढ़कर 13.6 फीसदी हो गया है।
बताया जा रहा है कि इसका मुख्य कारण यह है कि युवा अब कृषि क्षेत्र में काम करने के बजाय बाहर जाकर काम तलाश रहे हैं। इसका कारण है कृषि के काम में उचित मेहनताना न मिलना। रिपोर्ट के अनुसार शिक्षित लोगों में बेरोजगारी की दर तेजी से बढ़ी है। 2004—05 में शिक्षित महिला बेरोजगारी की दर 15.2 फीसदी थी जो 2017—18 में बढ़कर 10.5 फीसदी हो गई है। इसी तरह पुरूषों की बेरोजगारी की दर 2011-12 में 3.5-4.4 थी, जो बढ़कर 2017-18 में 10.5 फीसदी पहुंच गई।
सरकार ने सफाई देते हुए कहा है कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय जुलाई 2017 से दिसंबर 2018 तक की अवधि के लिए तिमाही आंकड़ों का प्रसंस्करण कर रहा है. इसके बाद रिपोर्ट जारी कर दी जाएगी. साथ ही मंत्रालय ने यह भी कहा कि रोजगार के असंगठित क्षेत्र को देखते हुए प्रशासनिक सांख्यिकी के जरिए बेहतर करना जरूरी हो जाता है।
Created On :   31 Jan 2019 8:58 AM GMT