उप्र : मनरेगा मजदूरों के जरिए 19 नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना (आईएएनएस विशेष)
लखनऊ, 31 मई (आईएएनएस)। लॉकडाउन भले ही कई लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हो, लेकिन उत्तर प्रदेश में यह 19 नदियों के लिए वरदान बनकर आया है। उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह ने आईएएनएस को बताया कि मनरेगा के तहत इन प्रवासी मजदूरों को नदियों को पुनर्जीवित करने के काम में लगाया जाएगा।
उन्होने कहा, नदियों को नया जीवन देने के लिए मनरेगा मजदूरों को गाद हटाने के काम में लगाया जाएगा।
कायाकल्प की जाने वाली नदियों में सई, पांडु, मंदाकिनी, टेढ़ी, मनोरमा, वरुणा, ससुर खदेरी, अरेल, मोराओ, तमसा, नाद, कर्णावती, बाण, सोन, काली, दधी, ईशान, बूढ़ी गंगा और गोमती हैं।
उन्होंने कहा, इनमें से अधिकांश छोटी नदियां हैं। उदाहरण के लिए, रूहेलखंड क्षेत्र में अरेल बहती है। सई नदी उन्नाव, हरदोई और लखनऊ से होकर गुजरती है। लापरवाही के कारण इनमें से कुछ नदियां लुप्त हो गई हैं। हम इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए मनरेगा कार्यबल का उपयोग करेंगे।
ये नदियां बहराइच, गोंडा, बस्ती, औरैया, कन्नौज, कानपुर, कानपुर देहात, प्रतापगढ़, फतेहपुर, प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, कौशांबी, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, जौनपुर, लखीमपुर, सीतापुर, शाहजहांपुर, पीलीभीत, बदायूं, बरेली, चित्रकूट, अयोध्या, अंबेडकरनगर, मिजार्पुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़, एटा, कासगंज और अमरोहा जैसे 39 जिलों से होकर गुजरती हैं।
मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे काम आगे बढ़ेगा, हम देखेंगे कि नदियों को सिंचाई सुविधा बढ़ाने और बाढ़ से होने वाले नुकसान को नियंत्रित करने के लिए जोड़ा जा सकता है या नहीं।
ग्रामीण विकास विभाग जल शक्ति मंत्रालय के साथ समन्वय में काम करेगा। प्रधान सचिव (ग्रामीण विकास) की अध्यक्षता में एक राज्यस्तरीय समिति का गठन किया गया है।
उन्होंने कहा, हर जिले में प्रवासी मजदूर उपलब्ध हैं और श्रम की आसान उपलब्धता से परियोजना को गति मिलेगी। हम मानसून की शुरुआत से पहले काम का एक बड़ा हिस्सा पूरा कर लेना चाहते हैं।
मार्च 2017 में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि प्रदेश की नदियों को पुनर्जीवित करना प्राथमिकता होगी, क्योंकि इसका कृषि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
Created On :   31 May 2020 6:00 PM IST