लॉकडाउन के कारण श्मशान घाट पर लकड़ी की आपूर्ति ठप

Wood supply stalled at cremation ground due to lockdown
लॉकडाउन के कारण श्मशान घाट पर लकड़ी की आपूर्ति ठप
लॉकडाउन के कारण श्मशान घाट पर लकड़ी की आपूर्ति ठप

लखनऊ, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। लॉकडाउन के कारण जन्मदिन, शादियां, वर्षगांठ और अन्य समारोह तो रुक ही गए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में दाह संस्कार के लिए लकड़ी की कमी होने से अब अंतिम संस्कार के लिए भी इंतजार करना पड़ सकता है।

राज्य की राजधानी के सबसे बड़े श्मशान घाट भैसाकुंड (जिसका नाम अब बैकुंठधाम हो गया है) में लकड़ियां खत्म हो रही हैं। यहां केवल अगले तीन दिन के लिए लकड़ियां बची हैं।

भैसाकुंड में अंतिम अनुष्ठान करने वाले कालू पंडित ने बताया, जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, लकड़ी की आपूर्ति बंद हो गई है। अगर आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो हमें तीन या चार दिनों के बाद दाह संस्कार बंद करना पड़ सकता है।

उन्होंने कहा कि जब बात दाह संस्कार की आती है तो उसे विधिवत तरीके से करने को लेकर लोग बहुत संवेदनशील होते हैं। ऐसे में यदि इसमें कोई बाधा आती है तो कानून और व्यवस्था की समस्या से इंकार नहीं किया जा सकता है।

भैसाकुंड में सामान्य दिनों में लगभग 15 से 20 शवों का दाह संस्कार होता है।

पुराने शहर के इलाके के निवासी अंतिम संस्कार के लिए गुलाला श्मशान घाट जाते हैं, जिसमें हर दिन लगभग 8 से 10 दाह संस्कार होते हैं।

उन्होंने कहा, कोरोना के प्रकोप के बाद से लोग इलेक्ट्रिक शवदाहगृहों को प्राथमिकता दे रहे हैं, क्योंकि शवों के साथ आने वाले लोगों की संख्या अब छह से कम होती है। इलेक्ट्रिक शवदाहगृह ज्यादा भीड़ के लिए उपयुक्त नहीं होते।

हालांकि गुलाला घाट पर स्थानीय पंडितों ने स्थानीय स्तर पर कुछ लकड़ी की व्यवस्था की है, लेकिन वे आपूर्ति में कमी को लेकर चिंतित हैं।

दोनों श्मशान घाटों के पंडितों ने कहा कि उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इस समस्या के बारे में सूचित किया है लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं किया गया है।

इस बीच, नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने कहा कि जल्द ही दूसरा इलेक्ट्रिक श्मशान भैसाकुंड में स्थापित किया जाएगा और लकड़ी द्वारा दाह संस्कार करने का दबाव कम किया जाएगा।

प्रयागराज की बात करें तो यहां रसूलाबाद का मुख्य श्मशान घाट ऐसी ही समस्या का सामना कर रहा है। दाह संस्कार करने वाले राजेंद्र ने कहा कि लोग लकड़ी के लिए सामान्य दर से तीन गुना ज्यादा भुगतान करने को तैयार हैं, लेकिन उनका स्टॉक कम हो रहा है।

वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थिति बेहतर है। अंतिम संस्कार करने वाले रवि ने कहा, लॉकडाउन के बाद से, आस-पास के जिलों और राज्यों से शवों को आना बंद हो गया है। हमारे पास पर्याप्त स्टॉक है। केवल स्थानीय शवों को ही यहां लाया जा रहा है। लॉकडाउन हटने तक के लिए हमारे पास व्यवस्था है।

Created On :   6 April 2020 5:20 AM GMT

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