कांग्रेस की आलोचना: कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 1970 के दशक में लिए कांग्रेस के इस फैसले पर उठाया सवाल

कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 1970 के दशक में लिए कांग्रेस के इस फैसले पर उठाया सवाल
  • पीएम मोदी ने एक्स पोस्ट में की कांग्रेस की आलोचना
  • श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप देने के फैसले पर उठाया सवाल
  • फैसले को भारत की एकता और अखंडता के विरूद्ध बताया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। राजनीतिक पार्टियों के बीच बयानबाजी का घमासान युद्ध छिड़ गया है। दिल्ली के रामलीला मैदान में आज करीब 28 विपक्षी पार्टियां भाजपा की केंद्र सरकार के खिलाफ हुंकार भरने जा रही है। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस पर जोरदार प्रहार किया है। पीएम मोदी ने 1970 के दशक में कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंको को देने के लिए कांग्रेस पार्टी की आलोचना की है। पोस्ट में पीएम मोदी ने नए तथ्यों के सामने आने का दावा करते हुए, कांग्रेस के कच्चातिवु द्वीप देने के फैसले को भारत की एकता और अखंडता के विरूद्ध बताया है।

'भारत की एकता और अखंडता को कमजोर किया'

पीएम नरेंद्र मोदी ने आज सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक न्यूज आर्टिकल शेयर करते हुए लिखा, "आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चातिवु को दे दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं कर सकते।" उन्होंने कांग्रेस पर भारत की एकता को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की आलोचना की और लिखा, "भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्षों से काम करने का तरीका रहा है।"

आरटीआई से सामने आई जानकारी

तमिलनाडु राज्य के भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने आरटीआई के जरिए पाक जलसंधि में कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को सौंपने के 1974 में लिए गए फैसले की जानकारी मांगी थी। उस समय देश में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक एक न्यूज रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया था। 1.9 वर्ग किमी की भूमि का यह द्वीप भारतीय तट से लगभग 20 किमी दूर है। भारत के तट से बीस किलोमीटर दूर 19 वर्ग किलोमीटर जमीन भारत ने श्रीलंका को दे दिए। रामेश्वरम (भारत) और श्रीलंका के बीच स्थित इस द्वीप का उपयोग पारंपरिक रूप से श्रीलंकाई और भारतीय दोनों मछुआरे करते थे। हालांकि, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में कच्चातिवु को श्रीलंकाई क्षेत्र के रूप में स्वीकार कर लिया।

सुधांशु त्रिवेदी ने कही थी ये बात

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इसी रविवार को कहा था, ''कच्च्यतिवु के मुद्दे पर मैं पूरे देश को याद दिलाना चाहूंगा कि यह 1975 तक भारत का था और यह तमिलनाडु में भारतीय तट से सिर्फ 25 किमी दूर है। पहले भारतीय मछुआरे वहां जाते थे लेकिन इंदिरा गांधी के शासनकाल में तत्कालीन सरकार ने इसे श्रीलंका को सौंप दिया। उस समझौते में यह भी कहा गया था कि कोई भी भारतीय मछुआरा वहां नहीं जा सकता। इस वजह से कई मछुआरों को पकड़कर जेल में बंद किया गया और अत्याचार का सामना करना पड़ा। न तो द्रमुक इस मुद्दे को उठाती है और न ही कांग्रेस इस मुद्दे को उठाती है।"

चुनावी महत्वकांक्षा के चलते भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे को जोरों शोर से उठा रही है। पार्टी इस मुद्दे को दक्षिणी राज्यों में बढ़त हासिल करने के लिए इस्तेमाल करना चाहती है। भाजपा को उम्मीद है कि कच्चतिवु द्वीप को चुनावी मुद्दा बनाने से दक्षिणी राज्यों में निश्चित फायदा मिलने वाला है।

Created On :   31 March 2024 6:41 AM GMT

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