यहां दहशत में पढ़ते हैं मासूम, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

In Satna, innocent kids are forced to study in a shabby building
यहां दहशत में पढ़ते हैं मासूम, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा
यहां दहशत में पढ़ते हैं मासूम, कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

डिजिटल डेस्क, सतना। शाला भवनों में दशहत भरे वातावरण में छात्र-छात्राएं पढ़ने और शिक्षक पढ़ाने को मजबूर हैं। भले ही प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लाख दावे किए जा रहे हों, लेकिन मप्र के सतना जिले के अलखनंदा गांव का एक प्राथमिक स्कूल आज भी शाला भवन के लिए तरस रहा है। स्कूल पहले एक पेड़ के नीचे लगती थी, लोगों को तरस आया तो एक चबूतरा बनवा दिया गया, लेकिन बारिश और गर्मी के दिनों में परेशानी को देखते हुए ग्रामीणों ने एक किराए का बरामदा उपलब्ध करा दिया, लेकिन यह बरामदा इतना जर्जर है कि इसके नीचे पढ़ने वाले बच्चे और पढ़ाने वाला शिक्षक हर वक्त दहशत में रहता है, कि कोई बड़ा हादसा घटित न हो जाए। अधिकारियों को भी जानकारी है, लेकिन इसके बाद भी उनके द्वारा पिछले 6 वर्षों से किसी प्रकार के प्रयास ही नहीं किए गए हैं कि स्कूल की नई इमारत बन जाए और बच्चे सुरक्षित महौल में शिक्षा प्राप्त कर सकें।

पहले पेड़ के नीचे लगती थी शाला
बताया जाता है कि पहले पेड़ के नीचे से प्राथमिक शाला का शुभारंभ किया गया था। कुछ दिनों बाद यह गांव के ही एक व्यक्ति के चबूतरे में लगा और पिछले तीन साल से यह एक निजी घर के कच्चे बरामदे में लग रहा है। विद्यालय की इस दयनीय हालत को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी गरीब परिवार के बच्चों की प्राथमिक शिक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं। ग्रामीणों के मुताबिक उक्त विद्यालय की स्थापना वर्ष 2012 में की गई थी। गांव में कोई सरकारी भवन न होने की स्थिति में यह स्कूल पेड़ के नीचे लगता था। मौसम की स्थिति को देख कुछ दिनों बाद यह विद्यालय गांव के ही एक व्यक्ति के चबूतरे में लगने लगा और वर्ष 2015 से लीलावती सेन नामक महिला के घर में बने कच्चे बरामदे में लग रहा है।

हर साल घटती गई बच्चों की संख्या
जिस वक्त इस विद्यालय का शुभारंभ हुआ था, उस समय 55 विद्यार्थी पंजीकृत थे। किन्तु विद्यालय की लगातार अनदेखी एवं कर्मचारियों एवं शिक्षकों की कमी के चलते इस स्कूल का स्तर गिरता गया। कारण कि यहां तो न शौचालय की कोई व्यवस्था है और न ही शासन की अतिमहत्वाकांक्षी मध्यान्ह भोजन योजना अंतर्गत बनाए जाने वाले भोजन की कोई व्यवस्था है। बच्चों की संख्या अब 27 है।

खाली हुए तो आते हैं शिक्षक
सिंहपुर संकुल अंतर्गत आने वाले अलखनंदा गांव के प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति ही नहीं है। वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत माध्यमिक शाला जमुनिहाई से एवं हायर सेकेण्ड्री विद्यालय सिंहपुर से एक-एक शिक्षक तैनात किए गए हैं, जो अपनी मूल पदस्थापना स्थान से खाली होने पर ही विद्यालय पहुंचते हैं।

इनका कहना है
भवन, शौचालय एवं कर्मचारियों की कमी के बीच सुविधा एवं संसाधन के मामले में कई बार समय-समय पर वरिष्ठ अधिकारियों को पत्राचार किया गया। मगर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
एपी सिंह, संकुल प्राचार्य

Created On :   19 Jan 2019 8:38 AM GMT

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story