चंपा षष्ठी आज, भगवान शिव को अर्पित करें बैंगन और बाजरा

डिजिटल डेस्क । मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को चंपा षष्ठी मनाई जाती है, जो इस वर्ष 13 दिसम्बर यानी आज गुरुवार को है। इस पर्व को स्कंद षष्ठी भी कहा जाता है। ये पर्व भगवान शिव के अवतार खंडोबा को समर्पित है। भगवान खंडोबा को किसानों के देवता के रूप में पूजा जाता है। खंडोबा को किसानों, चरवाहों और शिकारियों आदि का मुख्य देवता माना जाता है। ये पर्व कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों का प्रमुख त्यौहार है। मान्यता है कि चंपा षष्ठी व्रत करने से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत करने से पिछले जन्म के सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है।
चंपा षष्ठी को छठ पर्व भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन शिवलिंग को बैंगन और बाजरा का भोग लगाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व महाराष्ट्र में बनाया जाता है, इस दिन भगवान शिव के मार्तंडाय स्वरूप को समर्पित है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत करने से भक्तों के सारे पाप कट जाते हैं, उनकी सारी परेशानियों पर विराम लग जाता है, यही नहीं उसे सुख-शांति मिलती भी है और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि जब भगवान कार्तिकेय अपने माता-पिता (शिव-पार्वती) और अनुज (छोटे भाई) श्री गणेश से रुष्ठ होकर कैलाश पर्वत को त्याग कर भगवान् शिव के ज्योतिर्लिंग मल्लिकार्जुन में जाकर निवास करने लगे थे तब मार्गशीर्ष शुक्ल षष्ठी का ही दिन था। भगवान कार्तिकेय ने दैत्य तारकासुर का वध किया और इसी तिथि को वो देवताओं की सेना के सेनापति बने और भगवान शिव को प्रसन्न कर दिया था इसी कारण इस दिन का बहुत महत्व है।
चंपा षष्ठी भगवान कार्तिकेय को अति प्रिय है। भगवान कार्तिकेय को चम्पा के फूल अधिक प्रिय हैं। इस कारण भी इस दिन को चंपा षष्ठी कहा जाता है। इस व्रत के प्रभाव से जीवन में प्रसन्नता बनी रहती हैं। ये व्रत करने से प्रारब्ध के पाप नष्ट जाते हैं और जीवन सुखमय हो जाता है। भगवान कार्तिकेय मंगल ग्रह के स्वामी हैं। मंगल को मजबूत करने के लिए इस दिन भगवान कार्तिकेय का व्रत करना चाहिए। स्कंदपुराण के अनुसार यह पर्व भगवान कार्तिकेय को ही समर्पित है। स्कंद षष्ठी के दिन व्रतधारी को दक्षिण दिशा की तरफ मुख कर भगवान कार्तिकेय का पूजन करना चाहिए। घी, दही, जल और पुष्प से अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। रात्रि में भूमि पर शयन करना चाहिए। इस दिन किसी भी तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
पूजा विधि
प्रातः स्नान आदि करके शिव का ध्यान करें। संभव हों तो मंदिर जाकर शिवलिंग की पूजा करें। उन्हें दूध से नहलाएं और फूल, अबीर, बेल पत्र चढ़ाएं,देसी खांड का भोग लगाएं।
उपाय:-
अगर धन या गृह समस्या से ग्रसित हैं तो इस दिन शिव मंदिर में तिल के तेल के 9 दीप जलाएं।
संतान प्राप्ति के लिए कार्तिकेय को खीर का भोग लगाकर गरीब बच्चों को बांट दें।
हर प्रकार के कष्ट और रोगों से मुक्ति चाहते हैं तो इस दिन भगवान शिव को नीला वस्त्र चढ़ाएं और बैंगन-बाजरा का भोग लगाकर गरीबों में बांट दें।
Created On :   11 Dec 2018 1:35 PM IST