Parivartini Ekadashi 2025: जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि
  • परिवर्तिनी एकादशी को पद्म एकादशी भी कहा जाता है
  • एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है
  • इस बार परिवर्तिनी एकादशी 03 सितंबर को है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यधिक महत्व और यह साल में लगभग 24 एकादशी पड़ती है। लेकिन हर महीने इसका महत्व अलग होता है और इसे अलग- अलग नामों से जाना जाता है। फिलहाल, भाद्रपद मास चल रहा है और इस महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी (Parivartini Ekadashi) या पद्म एकादशी (Padma Ekadashi) के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें कि, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है।

मान्‍यता है कि आषाढ़, श्रावण, भादों और अश्विन में भगवान विष्‍णु सोते रहते हैं और फिर देवउठनी एकादशी के दिन ही उठते हैं। लेकिन भादों मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को वे अपनी करवट बदलते हैं। इसलिए यह एकादशी खास होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, इस बार परिवर्तिनी एकादशी 03 सितंबर, बुधवार को पड़ रही है। आइए जानते हैं योग, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में...

ति​थि कब से कब तक

एकादशी तिथि आरंभ: 03 सितंबर 2025, बुधवार तड़के 03 बजकर 53 मिनट (AM) से

एकादशी तिथि समापन: 04 सितंबर 2025, गुरुवार की सुबह 4 बजकर 21 मिनट (AM) तक

पूजा विधि

- परिवर्तिनी एकादशी के दिन ब्रम्हा मुहूर्त में उठकर स्‍नान करें।

- इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो के सामने दीपक जलाएं।

- भगवान विष्‍णु की प्रतिमा को स्‍नान कराएं और वस्‍त्र पहनाएं।

- फिर प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं।

- ध्यान रहे भगवान विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें।

- इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें।

- परिवर्तिनी एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं।

- इस दिन दान करना परम कल्‍याणकारी माना जाता है।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   1 Sept 2025 11:30 PM IST

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