पाकिस्तान के सामने सिंधु नदी के पानी से मुसीबत खड़ी करेगा भारत

PM narendra Modi will make trouble by water in front of Pakistan
पाकिस्तान के सामने सिंधु नदी के पानी से मुसीबत खड़ी करेगा भारत
पाकिस्तान के सामने सिंधु नदी के पानी से मुसीबत खड़ी करेगा भारत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को 330 मेगावॉट क्षमता वाली किशनगंगा विद्युत परियोजना का उद्घाटन किया। इसके साथ ही किश्तवार जिले में 1,000 मेगावॉट की पाकल दुल विद्युत परियोजना की आधारशिला भी रखी। दोनों ही योजनाओं को केंद्र सरकार की पाकिस्तान के खिलाफ एक रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि 1960 के सिंधु नदी समझौते के तहत भारत अपने हिस्से के पानी का अब अधिक से अधिक इस्तेमाल करेगा। जिससे पाकिस्तान के लिए मुसीबतें खड़ी हो सकती हैं। 
 

पीएम मोदी ने पहले ही पाक को चेताया 

हालांकि पानी के ज्यादा इस्तेमाल का फैसला सितंबर 2016 में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा उड़ी सेक्टर में आर्मी कैंप पर हमले के बाद ही ले लिया गया था। इस हमले में भारत के 18 सैनिक शहीद हुए थे। इस हमले के 11 दिन बाद पीएम मोदी ने कहा था कि खून और पानी दोनों साथ में नहीं बह सकते हैं। पीएम मोदी ने उस वक्त ही चेता दिया था कि पाकिस्तान आतंकवाद बंद करो नहीं तो सिंधु समझौते के तहत जितना पानी मिल रहा है उतना भी गंवाना पड़ेगा।

 

 

पाकिस्तान में पानी का संकट

इस फैसले के तुरंत बाद ही चिनाब और उसकी सहायक नदियों पर सावलकोट में 1,856 मेगावॉट, पाकल दुल में 1,000 मेगावॉट और बरसार में 800 मेगावॉट की बिजली परियोजनाओं में तेजी लाई गई। बता दें कि पाकिस्तान में पानी की कमी बीते कुछ सालों में एक बड़ा मुद्दा बनी हुई है। पाकिस्तान के कई जलस्रोत सूखने की कगार पर हैं। जलवायु परिवर्तन और पुरानी किसानी तकनीक और जनसंख्या वृद्धि के कारण पाकिस्तान में पानी का संकट गहरा रहा है। 

 

पॉवर प्रोजेक्ट से भारत करेगा कंट्रोल

इस संबंध में एक 2011 में यूएस सेनेट कमिटी की ओर से एक रिपोर्ट पेश की गई थी, जिसमें कहा गया था कि भारत भविष्य में बिजली परियोजनाओं के जरिए पाकिस्तान की लाइफलाइन सिंधु नदी के पानी को नियंत्रित कर सकता है। सिंधु नदी पर जिन प्रॉजेक्ट्स पर काम शुरू होना है, उनमें से कुछ को स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है। सावलकोट में जिस परियोजना पर काम शुरू होना है उसे 1991 में पहली बार स्वीकृति मिली थी। जनवरी 2017 में केंद्र सरकार द्वारा इसे हरी झंडी दे दी गई। पाकल दुल स्थित परियोजना भी कानूनी दांव-पेच से निकल गई है। 

 

भारत में भी मीठे जल के स्रोत कम हो रहे

वहीं नासा द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत का उत्तर और पूर्वी इलाका दुनिया की उन जगहों में शामिल है, जहां मीठा जल तेजी से कम हो रहा है। इसका कारण जल स्रोतों का ज्यादा इस्तेमाल है। नासा ने अपनी सैटेलाइटों की मदद से किए हालिया अध्ययन में यह दावा किया गया है। नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के वैज्ञानिक मैट रोडेल और उनकी टीम ने इस शोध के लिए मानव क्रियाओं पर आधारित डाटा का इस्तेमाल किया, जिससे पता लगाया जा सके कि पूरी दुनिया में कहां-कहां मीठे जल के स्रोत में बदलाव हो रहा है। 

Created On :   20 May 2018 2:30 AM GMT

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