ज्यादा एक्सरसाइज बन सकती है मुसीबत

too Much exercise can cause of trouble, specially form women
ज्यादा एक्सरसाइज बन सकती है मुसीबत
ज्यादा एक्सरसाइज बन सकती है मुसीबत

डिजिटल डेस्क, भोपाल।  एक्सरसाइज करना एक अच्छी आदत है। इससे हमारी हेल्थ तो फिट रहती ही है। साथ ही हमारा दिमाग भी दुरुस्त रहता है। आप किसी भी बीमारी के लिए डॉक्टर के पास जाएं तो आपको एक्सरसाइज करने की सलाह जरूर देते हैं। चाहे पांच मिनट की एक्सरसाइज हो वो आपको अपनी डेली लाइफ में एक एक्सरसाइज शामिल करने की सलाह जरूर देंगे। लेकिन जो लोग बहुत ज्यादा हेल्थ कॉन्शियस होते हैं, उन्हें अच्छी तरह से एक्सरसाइज करना बेहद पसंद होता है। वो अपने वर्कआउट में कतई कोताही नहीं करते, लेकिन ये जानाने जरूरी है कि एक्सरसाइज करने की भी एक लिमिट होती है, खासकर महिलाओं के लिए। अगर इस लिमिट से बाहर जाकर एक्सरसाइज की जाती है तो ये हमारे शरीर और दिमाग दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। 

एक स्टडी में से ये बात साबित हुई है कि जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने और डाइटिंग करने के कारण महिलाओं की फर्टिलिटी यानी गर्भधारण करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है। इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं होती हैं।आइए जानते हैं जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने के साइड इफेक्ट।

क्या होती हैं परेशिनियां

जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज की वजह से अक्सर महिलाओं के शरीर में एक खास तरह की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसे अमेनरीया यानी रजोरोध कहते हैं। ये स्थिति तब पैदा होती है, जब एक सामान्य स्त्री को लगातार 3 महीने से ज्यादा वक्त तक सही तरीके से पीरियड्स नहीं आते। कई महिलाओं में यह स्थिति इस वजह से पैदा होती है, क्योंकि वे शरीर को नियमित रूप से ऊर्जा प्रदान के जिए जरूरी कैलरीज का सेवन किए बिना जिम में कई घंटों तक एक्सरसाइज करती हैं। शरीर में कैलरी की इस कमी का सीधा असर न केवल फर्टिलिटी पर पड़ता है, बल्कि इसकी वजह से महिलाओं की यौन इच्छा भी प्रभावित होती है। मोटापे से पीड़ित महिलाएं भी फिटनेस एक्सपर्ट या ट्रेनर से सलाह लिए बिना जिम में जरूरत से ज्यादा कार्डियो या वेट उठाने वाली एक्सरसाइज करने लगती हैं, जिससे उनकी फर्टिलिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है।

गर्भ धारण करने में होती है परेशानी

जो महिलाएं जिम में डेढ़ से 2 घंटे या 3 घंटे लगातार एक्सरसाइज करती हैं और साथ में डाइटिंग भी करती हैं, उनके शरीर में 2-3 महीने के अंदर हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है, जिससे उनकी गर्भधारण करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है। ऐसे में दवाईयों और सही डाइट के जरिए धीरे-धीरे हार्मोन्स का संतुलन ठीक करना पड़ता है। ज्यादा गंभीर मामलों में तो फिर आईवीएफ ट्रीटमेंट ही मां बनने का एकमात्र उपाय रह जाता है।

डाइटिंग से और बढ़ती है समस्या

इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. सागरिका अग्रवाल का कहना है,"नॉर्मल या मॉडरेट एक्सरसाइज करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन सामान्य से ज्यादा एक्सरसाइज या जरुरत से ज्यादा वेट उठाने, कार्डियो ट्रेनिंग या रनिंग करने से महिलाओं के शरीर में कुछ समय बाद हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है। इसकी वजह से उनका पीरियड्स अनियमित हो जाता है या कई बार पूरी तरह बंद भी हो जाता है। साथ ही अंडों का उत्सर्जन भी सही ढंग से नहीं होता है। इसीलिए महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि 30 से 40 मिनट की ब्रिस्क वॉक या इतनी ही देर की जिमिंग, योग या स्विमिंग ही सबसे बेहतर और इससे हेल्थी तरीके से वेट लॉस होता है। इसके अलावा डाइटिंग करने वाली महिलाओं को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर को रोज एक संतुलित मात्रा में फैट की भी जरूरत होती है और जब वह शरीर को नहीं मिलता तो उससे हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और फर्टिलिटी प्रभावित होती है।"

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ऐस्ट्रोजन का स्तर न बढ़ने दें

असल में जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने से शरीर में ऐस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर इतना बढ़ जाता है कि वो पीरियड्स में बाधा डालने लगता है और उसी के चलते गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। गौरतलब है कि ज्यादातर गर्भनिरोधक दवाईयां भी ऐस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाती हैं और इसलिए उनका सेवन करने के बाद महिलाएं खुद को गर्भवती होने से रोक पाती हैं। ऐसे में जब अत्यधिक कसरत की वजह से ऐस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, तो जाहिर है कि उससे भी इसी तरह की दिक्कत पैदा होगी। इसलिए महिलाओं को हेवी एक्सरसाइज से बचना चाहिए और सामान्य दिनचर्या का ही पालन करना चाहिए।

सही डायट भी है जरूरी

नियमित रूप से एक्सरसाइज करने के साथ-साथ पर्याप्त डायट भी बेहद जरूरी है, क्योंकि आपके शरीर को नियमित रूप से कैलरीज और पोषक तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। खासतौर पर तब, जब आप एक्सरसाइज के दौरान अपनी काफी ऊर्जा खो देती हैं। जिम जाने वाली महिलाओं को समय समय पर अपनी गर्भधारण क्षमता की जांच भी करवाते रहना चाहिए।

 

Created On :   17 Sep 2017 6:49 AM GMT

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