उज्जैन नागचंद्रेश्वर मंदिर: महाकाल की नगरी उज्जैन में नागपंचमी पर खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट, सिर्फ एक दिन के लिए मिलेंगे दर्शन

डिजिटल डेस्क, उज्जैन। देशभर के करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट आज रात 12 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले जाएंगे। यह मंदिर सालभर में सिर्फ एक दिन, नागपंचमी के अवसर पर खुलता है। दर्शन के लिए मंदिर 24 घंटे खुला रहेगा, और लाखों श्रद्धालु इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाएंगे।
क्यों खास है नागचंद्रेश्वर मंदिर?
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का विशेष महत्व है। नागों को भगवान शिव का आभूषण और रक्षक माना जाता है। मान्यता है कि इस मंदिर में दर्शन मात्र से नागदोष, कालसर्प दोष और अन्य बाधाएं दूर हो जाती हैं।
महाकाल मंदिर के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर, और उसकी तीसरी मंजिल पर यह नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है। यहां विराजमान मूर्ति नेपाल से लाई गई थी, जिसमें भगवान शिव शेषनाग की शैय्या पर विराजमान हैं। साथ में माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, सिंह, सूर्य और चंद्रमा की भी सुंदर मूर्तियां हैं। यह मंदिर शिवभक्तों के लिए दुनिया में एकमात्र स्थान है, जहां भोलेनाथ इस अद्वितीय रूप में दर्शन देते हैं।
धार्मिक मान्यता और इतिहास
मान्यता है कि नागराज तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी। प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया। लेकिन तक्षक के साथ रहने से शिव के ध्यान में विघ्न होता था, इसलिए तक्षक ने तय किया कि वह साल में केवल एक बार, नागपंचमी पर ही दर्शन करने आएंगे। तभी से यह परंपरा चली आ रही है कि मंदिर के कपाट सिर्फ इस दिन ही खोले जाते हैं।
इतिहास के अनुसार, मंदिर का निर्माण 11वीं सदी में राजा भोज द्वारा कराया गया था। बाद में 1732 में मराठा सरदार राणोजी सिंधिया ने इसका पुनर्निर्माण कराया और नेपाल से मूर्ति मंगाकर स्थापित की।
दर्शन के लिए तैयारियां
प्रशासन के अनुसार, इस एक दिन में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। हर श्रद्धालु को 40 मिनट के भीतर दर्शन कराने की योजना बनाई गई है। विशेष सुरक्षा, दर्शन मार्ग, गाइडलाइन और व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं।
Created On :   28 July 2025 8:22 PM IST