रक्षा: ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य ताकत, रणनीतिक मजबूती और आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की मिसाल

ऑपरेशन सिंदूर  भारत की सैन्य ताकत, रणनीतिक मजबूती और आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की मिसाल
भारत की ओर से 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद के खिलाफ उठाया गया एक ऐतिहासिक और बहुआयामी कदम है, जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य दोनों रणनीतियों का संयोजन देखने को मिला है।

नई दिल्ली, 11 मई (आईएएनएस)। भारत की ओर से 'ऑपरेशन सिंदूर' आतंकवाद के खिलाफ उठाया गया एक ऐतिहासिक और बहुआयामी कदम है, जिसमें सैन्य और गैर-सैन्य दोनों रणनीतियों का संयोजन देखने को मिला है।

इस ऑपरेशन में न सिर्फ आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया गया, बल्कि पाकिस्तान की आक्रामकता को भी प्रभावी रूप से रोकने में सफलता मिली और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को यह संदेश दिया कि भारत अब आतंक के प्रति किसी भी प्रकार की नरमी नहीं बरतेगा।

भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित नौ आतंकवादी ठिकानों पर सटीक मिसाइल हमले किए। इनमें बहावलपुर, मुरिदके, मुजफ्फराबाद और कोटली जैसे ठिकाने शामिल थे, जो जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के मुख्यालय रहे हैं। ये वही आतंकी संगठन हैं जिन्होंने पुलवामा (2019) और मुंबई हमले (2008) जैसी घटनाओं को अंजाम दिया था।

गत 7 से 9 मई के दौरान पाकिस्तान की ओर से किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों के जवाब में भारत ने लाहौर समेत पाकिस्तान के कई एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया। साथ ही, भारत ने 9-10 मई की रात पाकिस्तान के 11 एयरफोर्स बेस पर जवाबी कार्रवाई की, जिनमें नूर खान, रफीकी, मुरिद, सुक्कुर, सियालकोट, पसरूर, चुनीयन, सरगोधा, स्कारु, भोलारी और जैकोबाबाद शामिल हैं। यह पहला मौका था जब किसी देश ने परमाणु क्षमता से लैस राष्ट्र के एयरफोर्स कैंपों को सफलतापूर्वक नुकसान पहुंचाया।

जैकोबाबाद के शाहबाज एयरबेस की पहले और बाद की तस्वीरों ने तबाही की भयावहता को स्पष्ट किया। इन हमलों में एफ-16 और जेएफ-17 लड़ाकू विमानों वाले बेसों को नुकसान पहुंचा, जिससे पाकिस्तानी वायुसेना की 20 प्रतिशत इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह हो गई। वहीं, भोलारी एयरबेस पर हुए हमले में पाकिस्तान के स्क्वाड्रन लीडर उस्मान यूसुफ समेत 50 से अधिक सैन्यकर्मियों की मौत हो गई और कई लड़ाकू विमान नष्ट हो गए।

एलओसी पर भी जवाबी कार्रवाई में भारत ने पुंछ-राजौरी सेक्टर में पाकिस्तानी सेना द्वारा नागरिक इलाकों पर की गई गोलाबारी का सटीक जवाब देते हुए आतंकियों के बंकर और सेना की चौकियों को नष्ट कर दिया। रहीमयार खान एयरबेस के मलबे में मिली आसिफ अली ज़रदारी की अधजली तस्वीर पाकिस्तान की राजनीतिक और सैन्य विफलता का प्रतीक बन गई।

भारत ने केवल सैन्य मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि रणनीतिक नीति, सूचना प्रभुत्व और मनोवैज्ञानिक युद्ध के माध्यम से पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर दिया। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान को बड़ा झटका दिया। पाकिस्तान की 80 प्रतिशत कृषि भूमि, 93 प्रतिशत जल उपयोग और 25 प्रतिशत जीडीपी इस जल प्रणाली पर निर्भर है। भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान को भयानक जल संकट, खाद्य संकट और बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है।

यह निर्णय भारत के लिए भी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में नए बांधों और सिंचाई परियोजनाओं का रास्ता खोलता है। अब भारत झेलम और चेनाब जैसी नदियों पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर सकता है। भारत ने अटारी-वाघा सीमा को बंद कर पाकिस्तान के साथ सभी द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध निलंबित कर दिए। इससे प्याज, सीमेंट, टेक्सटाइल जैसे कई प्रमुख व्यापारिक वस्तुओं का आदान-प्रदान बंद हो गया। यह कदम पाकिस्तान की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था, मुद्रास्फीति, और विदेशी कर्ज संकट को और गहरा कर गया।

भारत सरकार ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर उन्हें देश छोड़ने का आदेश दिया। इसके साथ ही पाकिस्तानी कलाकारों, फिल्मों, गानों और सांस्कृतिक आयोजनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया। यह प्रतिबंध स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स तक बढ़ाया गया, जिससे पाकिस्तान की सांस्कृतिक उपस्थिति भारत में शून्य हो गई। भारत ने पाकिस्तान की आतंक समर्थक नीतियों को वैश्विक मंचों पर उजागर किया, जिससे उसे राजनयिक स्तर पर भी अलग-थलग किया गया। इन सभी सामूहिक उपायों ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद के प्रति किसी भी प्रकार की सहनशीलता नहीं रखता। वैश्विक नेतृत्व को प्रदर्शित किया। यह केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, निर्णायक नेतृत्व और आतंकवाद के खिलाफ अडिग रुख की एक मिसाल बन गया।

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Created On :   11 May 2025 11:58 PM IST

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