बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में आखिरी बार कांग्रेस को 1985 में जीत मिली थी, दो दशक से जेडीयू-बीजेपी का कब्जा

बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में आखिरी बार कांग्रेस को 1985 में जीत मिली थी, दो दशक से जेडीयू-बीजेपी का कब्जा
बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में करीब 19.07% अनुसूचित जातियां और 3.3% मुस्लिम वोटर्स है। क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, 15% के करीब मतदाता शहरी हैं। मौजूदा विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह 2005 और 2010 में जेडीयू से, और 2015 तथा 2020 में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए है।

डिजिटल डेस्क, पटना। 243 विधानसभा सीट वाले बिहार में बाढ़ विधानसभा क्षेत्र पटना जिले में आती है। बाढ़ मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है। 1951 में स्थापित बाढ़ विधानसभा सीट पर अब तक 17 बार चुनाव हुए हैं। कभी कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले बाढ़ पर अब बीजेपी ने कब्जा कर लिया है। बाढ़ भाजपा का एक मजबूत किला बन चुका है। कांग्रेस को यहां आखिरी जीत1985 में नसीब हुई थी, कांग्रेस यहां से कुल 6 बार विजयी रही है। 4 बार जेडीयू ने जीत दर्ज की है, जनता दल और बीजेपी ने दो-दो बार, जबकि जनक्रांति दल, जनता पार्टी और एक निर्दलीय प्रत्याशी ने एक-एक बार जीत प्राप्त की है।

बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में करीब 19.07% अनुसूचित जातियां और 3.3% मुस्लिम वोटर्स है। क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण है, 15% के करीब मतदाता शहरी हैं। मौजूदा विधायक ज्ञानेंद्र कुमार सिंह 2005 और 2010 में जेडीयू से, और 2015 तथा 2020 में बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर निर्वाचित हुए है।

बाढ़ विधानसभा क्षेत्र की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान भी बेहद खास है। गंगा के किनारे होने के कारण बाढ़ व्यापार और परिवहन का अहम केंद्र रहा है। 1495 में बाढ़ में सिकंदर लोदी और बंगाल के शासकों के बीच "बाढ़ की शांति संधि" हुई थी, जिसमें यह तय हुआ कि बाढ़ के पूर्व का इलाका बंगाल के अधीन और पश्चिम का इलाका दिल्ली के अधीन रहेगा। शेरशाह सूरी ने 16वीं सदी की शुरुआत में बाढ़ में व्यापारियों और यात्रियों के लिए 200 कमरों वाली भव्य सराय निर्मित करवाई थी। 1877 में बाढ़ में रेलवे स्टेशन स्थापित किया गया। 1898 से 1901 के बीच प्लेग महामारी फैलने से यहां की आबादी में भारी गिरावट आई।

बाढ़ नाम की उत्पत्ति को लेकर कई मत हैं। गंगा नदी के किनारे बसे होने के चलते बाढ़ फ्लड शब्द से हुई, यह इलाका कोलकाता से आने वाले जहाजों का 12वां ठिकाना हुआ करता था, इसके आधार पर इसका नाम बारह फिर धीरे धीरे बाढ़ हो गया, 1934 में पहली बार आयोजित बार अधिवेशन के चलते इसके नाम बाढ़ पड़ा। बाढ़ की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है, NTPC बाढ़ सुपर थर्मल पावर स्टेशन से इलाके को नई पहचान और ताकत मिली है.यहां से बिहार, झारखंड, सिक्किम, तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों को बिजली आपूर्ति होती है। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति है।

बिहार में दो चरणों में 6 नवंबर और 11 नवंबर को वोटिंग होगी, नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। आज 17 नवंबर को पहले चरण के नामांकन की आखिरी तारीख है। दूसरे चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है।



Created On :   24 Oct 2025 1:30 PM IST

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