बिहार विधानसभा चुनाव 2025: बगहा विधानसभा सीट का सियासी सफर, बीजेपी जेडीयू के अलावा एनसीपी भी जीत चुकी है चुनाव

बगहा विधानसभा सीट का सियासी सफर, बीजेपी जेडीयू के अलावा एनसीपी भी जीत चुकी है चुनाव
1957 से 1985 तक कांग्रेस ने लगातार आठ बार जीत दर्ज की। इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतने वाले नेता केदार पांडे थे, जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के नेता नरसिंह बैथा ने लगातार पांच बार जीत चुके है। त्रिलोकी हरिजन ने 1980 और 1985 में दो बार जीत दर्ज की।

डिजिटल डेस्क, पटना। बगहा विधानसभा सीट पश्चिम चंपारण जिले के अंतर्गत आती है। 2020 में बीजेपी के राम सिंह, 2015 में बीजेपी के राघव शरण पांडे, 2010 में जेडीयू के प्रभात रंजन सिंह , 2005 में एनसीपी के सुबोध कुमार, जबकि 2000 में बीजेपी की भागीरथी देवी ने चुनाव जीता था। कुल मिलाकर कांग्रेस 8 बार, जेडीयू 4, जनता दल और बीजेपी 2-2 बार और आरजेडी 1 बार यहां से जीत चुके है।

बगहा अनुसूचित जाति आरक्षित विधानसभा सीट है। 1957 में गठित हुई सीट पर अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, 2009 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। यहां अनुसूचित जाति करीब 15 फीसदी ,अनुसूचित जनजाति 4 फीसदी ,मुस्लिम समुदाय 16 फीसदी है। सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या अधिक है। शहरी वोटर्स केवल 24.47% हैं

1957 से 1985 तक कांग्रेस ने लगातार आठ बार जीत दर्ज की। इस क्षेत्र से पहली बार चुनाव जीतने वाले नेता केदार पांडे थे, जो बाद में बिहार के मुख्यमंत्री बने। कांग्रेस के नेता नरसिंह बैथा ने लगातार पांच बार जीत चुके है। त्रिलोकी हरिजन ने 1980 और 1985 में दो बार जीत दर्ज की।

1990 से बदलाव की शुरुआत हुई जब जनता दल के टिकट पर पूर्णमासी राम ने जीत हासिल की,पूर्णमासी ने पांच बार लगातार जीत हासिल की. दो बार जनता दल से (1990, 1995), एक बार आरजेडी से (2000) और दो बार जेडीयू से (2005 के दो चुनाव) से जीते।

बगहा की जनता कृषि पर आधारित है। क्षेत्र में चीनी और चावल मिलों की मौजूदगी स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देती है, बेरोजगारी के चलते कई लोग अन्य राज्यों में मजदूरी करने जाते है।

Created On :   13 Oct 2025 1:25 PM IST

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