विधानसभा चुनाव 2023: चूरू जिले में जाट, जाटव , राजपूत और ब्राह्मण वोटर्स होते है अहम
- चूरू जिले में निर्दलीय बिगाड़ते है खेल
- बीजेपी कांग्रेस के लिए मुसीबत बनते बागी
- सीटों पर देखने को मिलता है बहुकोणीय मुकाबला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चूरू जिले में पांच विधानसभा सीटें है, जिनमें तारानगर, सरदारशहर, चूरू , रतनगढ़ और सुजानगढ़ है, इनमें से सुजानगढ़ सीट अनुसूचित जाति आरक्षित है, जबकि चार विधानसभा सीट तारानगर, सरदारशहर, चूरू और रतनगढ़ सामान्य सीट है। चुरू जिला शेखावटी क्षेत्र में आता है। यहां 5 विधानसभा सीट है। चूरू थार रेगिस्तान के पास स्थित है, चूरू को द गेटवे टू थार यानी मरुस्थल का द्वार के नाम से भी जाना जाता है। 1739 में ठाकुर कुशल सिंह ने चूरू जिले का निर्माण करवाया था। चूरू में विकास जमीनी स्तर पर दिखाई नहीं देता। यहां शिक्षा, स्वास्थ्य की बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
तारानगर विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस के नरेंद्र बुदानिया
2013 में बीजेपी के जयनारायण पूनिया
2008 में बीजेपी को राजेंद्र राठौर
2003 में कांग्रेस के डॉ चंद्रशेखर
तारानगर विधानसभा सीट पर 1990 से लेकर अब तक सात बार इलेक्शन हुआ है, जिसमें से कांग्रेस को 5 बार और 2 बार बीजेपी को जीत मिली है। 1990,1993,1998 और 2018 में कांग्रेस की जीत हुई है, जबकि 2008 और 2013 में बीजेपी की जीत हुई है। तारानगर सीट पर निर्दलीय और बीएसपी चतुष्कोणीय मुकाबला पेदा करते है।
यहां ओबीसी और एससी वोट निर्णायक भूमिका में होते है। जाट और राजपूत वोटर्स का भी क्षेत्र में प्रभुत्व है। जो प्रत्याशियों की हार जीत का फैसला करते है।
सरदारशहर विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस से भंवर लाल शर्मा
2013 में कांग्रेस से भंवर लाल शर्मा
2008 में बीजेपी से अशोक पींचा
2003 में कांग्रेस से भंवरलाल शर्मा
1998 में कांग्रेस से भंवरलाल शर्मा
1996 में निर्दलीय भंवरलाल शर्मा
सरदारशहर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, यहां अब तक के चुनाव में बीजेपी यहां केवल दो बार चुनाव जीत सकी है। सीट पर जाट और जाटव समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है। जाट वोटर्स की संख्या यहां सर्वाधिक है, इसके बाद जाटव वोटर्स आते है, जिनकी तादाद सीट पर दूसरे नंबर पर है। इन दोनों समुदाय के बाद ब्राह्मण, मुस्लिम,राजपूत , माली, कुम्हार, अग्रवाल और सोनी समाज के मतदाता है। जो चुनाव को किसी भी दिशा में मोड़ने की ताकत रखते है।
चूरू विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से राजेंद्र राठौड़
2013 में बीजेपी से राजेंद्र राठौड़
2008 में कांग्रेस से हाजी मकबूल
2003 में बीजेपी से राजेंद्र राठौड़
चूरू विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक, ओबीसी, एससी,एसटी मतदाता निर्णायक भूमिका में होते है, इन्हीं समुदाय के वोटर्स चुनाव में हार जीत तय करते है। हर पार्टी यहां जातिगत वोटबैंक को साधने के जुगाड़ में रहती है। राजनैतिक दल भी प्रत्याशियों चयन में जाति का ध्यान रखती है। यहां बसपा,भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ देती है, यहां चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता है। सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेता राजैंद्र राठौड़ का दबदबा है। वो यहां से 6 बार से विधायक रह चुके है।
रतनगढ़ विधानसभा सीट
2018 में बीजेपी से अभिनेष महर्षि
2013 में बीजेपी से राजकुमार रिन्वा
2008 में बीजेपी से राजकुमार रिन्वा
2003 में निर्दलीय राजकुमार रिन्वा
रतनगढ़ विधानसभा सीट पर बीजेपी -कांग्रेस प्रत्याशियों को बागी प्रत्याशियों का सामना करना पड़ता है। यहां निर्दलीय उम्मीदवार बीजेपी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते है। सीट पर ब्राह्मण वर्ग का दबदबा है।
सुजानगढ़ विधानसभा सीट
2018 में कांग्रेस के भंवर लाल
2013 में बीजेपी से खेमराम
2008 में कांग्रेस से भंवर लाल
2003 में बीजेपी से खेमराम
एससी आरक्षित सुजानगढ़ विधानसभा सीट पर 2018 के चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। यहां बारी बारी से बीजेपी और कांग्रेस चुनाव जीतती आ रही है। यहां मेघवाल और जाट वोटर्स का दबदबा है, सर्वाधिक मतदाता भी इन्हीं समुदाय से है। इनके बाद राजपूत, मुस्लिम और ब्राह्मण वोटर्स है।
Created On :   27 Oct 2023 7:12 PM IST