नफरत की राजनीति’ के खिलाफ ‘संविधान सत्याग्रह पदयात्रा’: महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने नागपुर स्थित दीक्षाभूमि से शुरु किया आरएसएस के खिलाफ पैदल मार्च

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने आज सोमवार से सत्याग्रह पदयात्रा की शुरुआत कर रहे हैं। तुषार गांधी ने यात्रा को लेकर कहा यह यात्रा संविधान को मजबूत करने और उसे बचाने के लिए की जा रही है। यह यात्रा समाज में प्रेम, भाईचारे और सांविधानिक मूल्यों को बचाने का प्रयास है। तुषार गांधी की संविधान सत्याग्रह पदयात्रा 29 सितंबर को नागपुर स्थित दीक्षाभूमि से शुरू होकर 2 अक्टूबर को वर्धा के सेवाग्राम आश्रम तक जाएगी। यहां पदयात्रा का समापन होगा। यह यात्रा देश में एकता और शांति को लेकर की जा रही है। यात्रा शुरू होने से पहले एक जुलूस निकाला गया।
तुषार गांधी का कहना है कि हम यह पदयात्रा समाज और राजनीति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस और उसके सहयोगी सगंठनों की ओर से फैलाई जा रही नफरत के खिलाफ मोहब्बत का संदेश लेकर कर रहे हैं। गांधी ने कहा कि अगर नफरत बढ़ी तो यह देश की एकता को नुकसान पहुंचाएगी। तुषार का पैदल मार्च नफरत की राजनीति के खिलाफ है। पैदल मार्च का उद्देश्य संविधान और एकता के संदेश को मजबूत करना है, जिससे महात्मा गांधी के आदर्शों को जीवित रखा जा सके। तुषार गांधी ने कहा देश में महात्मा गांधी और संविधान की आवाजें जिंदा हैं
महाराष्ट्र कांग्रेस चीफ हर्षवर्धन सपकाल ने पदयात्रा को लेकर कहा, पदयात्रा के जरिए हम आरएसएस की छुआछूत और भेदभाव को लेकर बनाई गई विभाजनकारी नींव को चुनौती देने के उद्देश्य से निकाल रहे हैं। पदयात्रा का मकसद हर भारतीय को संविधान और सत्य-अहिंसा के सिद्धांतों के प्रति जागरूक करना और उसे अपनाने के लिए प्रेरित करना है। कांग्रेस नेता सपकाल ने आगे कहा कि यह पदयात्रा संविधान की रक्षा, समानता और सामाजिक समरसता के लिए है, ताकि भारत का लोकतांत्रिक ढांचा बचा रहे। सपकाल ने कहा आरएसएस को गांधीवादी विचारों और संविधान को स्वीकार करना चाहिए और नाथूराम गोडसे और मनुस्मृति को अलविदा कहना चाहिए।
Created On :   29 Sept 2025 12:36 PM IST