बार एसोसिएशन ने ठाकरे, राउत के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना को लेकर कार्रवाई की मांग की

Bar Association demands action against Thackeray, Raut for contempt of court proceedings
बार एसोसिएशन ने ठाकरे, राउत के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना को लेकर कार्रवाई की मांग की
जनहित याचिका बार एसोसिएशन ने ठाकरे, राउत के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना को लेकर कार्रवाई की मांग की

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इंडियन बार एसोसिएशन (आईबीए) ने बुधवार को यहां न्यायपालिका से संबंधित कुछ कथित बयानों के लिए महाराष्ट्र में कई राजनीतिक दिग्गजों के खिलाफ अदालती कार्यवाही की अवमानना करने पर एक जनहित याचिका दायर की है।

उत्तरदाताओं में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे-पाटिल, शिवसेना सांसद और सामना प्रकाशन समूह के कार्यकारी संपादक संजय राउत, विवेक कदम और अन्य शामिल हैं।

आईबीए के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वरलाल एस. अग्रवाल ने तर्क दिया कि प्रतिवादी पूरी न्यायिक प्रणाली को बदनाम करने के अभियान में शामिल हैं, क्योंकि अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय उनके अनुरूप नहीं हैं।

अग्रवाल ने कहा, अपने विरोधियों को जेल में रखने या सत्ता और पुलिस तंत्र के दुरुपयोग से उन्हें परेशान करने की उनकी योजना इस न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के कारण विफल हो गई है।

याचिका में कहा गया है कि 8 फरवरी, 2021 को राउत ने सामना (शिवसेना का मुखपत्र) में एक संपादकीय प्रकाशित किया था, जिसमें कई व्यंग्यात्मक, गंदे, निंदनीय, अपमानजनक और अत्यधिक मानहानिकारक बयान शामिल थे, जिसमें सार्वजनिक रूप से यह बताने की कोशिश की गई थी कि कितने न्यायाधीश राजनीतिक दलों के एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं।

जनहित याचिका में सामना के संपादकीय के हवाले से कहा गया है, किसी के मन में कोई शक नहीं है कि देश की न्यायपालिका सत्ताधारी पार्टी की एड़ी (जूते) के नीचे है।

पीआईएल में कहा गया है कि उत्तरदाताओं के इस तरह के बयानों के कारण, ईमानदार न्यायाधीश स्पष्ट रूप से जबरदस्त दबाव में हैं कि हर आदेश को स्कैन किया जा रहा है और उन्हें (प्रतिवादियों) द्वारा बदनाम किया जाता है, यदि वे राज्य के खिलाफ या भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता के पक्ष में कोई आदेश पारित कर देते हैं, भले ही उनका मामला कानूनी रूप से सही हो और वह ईमानदार हों।

याचिका में दिसंबर 2020 में राउत के एक अन्य लेख का हवाला दिया गया है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि न्यायपालिका केंद्र सरकार के नियंत्रण में है और केवल उन लोगों की रक्षा करने के लिए कार्य कर रही है जो सरकार समर्थक हैं। लेख में आगे आरोप लगाया गया था कि अदालत केंद्र के खिलाफ नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करने से पीछे हट गई है।

आम तौर पर न्यायाधीशों और न्यायपालिका पर हमले से बचने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायपालिका की नींव जनता के दिमाग से मिटती नहीं है, जनहित याचिका में प्रतिवादियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई है।

जनहित याचिका में उत्तरदाताओं द्वारा की गई अवमानना का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है।

49 वर्षीय अग्रवाल ने अधिवक्ता अभिषेक एन. मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में आगे कहा है कि इस याचिका को उनकी मृत्यु घोषणा के रूप में माना जाना चाहिए और उन्होंने संभावित खतरों के मद्देनजर अपने वकीलों और गवाहों के लिए सुरक्षा की मांग की।

(आईएएनएस)

Created On :   20 April 2022 7:30 PM IST

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