मप्र में उभरते असंतोष के स्वरों से भाजपा चिंतित

भोपाल 28 जून (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा के उपचुनाव से पहले भाजपा के भीतर उठ रहे असंतोष के स्वरों ने पार्टी संगठन को चिंतित कर दिया है। यही कारण है कि संगठन सख्त कार्रवाई करने का मन बना रहा है।
राज्य में कुछ दिनों बाद 24 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें से 22 सीटें वे हैं, जहां के तत्कालीन विधायकों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा है और इन सभी का भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में उतरना लगभग तय है।
कांग्रेस से भाजपा में आए पूर्व विधायकों के उम्मीदवार बनाए जाने की संभावनाओं ने उन नेताओं के सामने सवाल खड़े कर दिए हैं जो या तो पिछला चुनाव हारे हैं या जिन्हें पिछले चुनाव में भाजपा ने टिकट नहीं दिया था। कई स्थानों से दबे स्वर में बातें भी उठने लगी हैं। देवास जिले से हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक दीपक जोशी के मामले ने तो तू ही पकड़ लिया था। बाद में संगठन की समझाइश पर जोशी शांत हो गए।
ताजा मामला बदनावर से विधानसभा का चुनाव हारने वाले पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत का है। शेखावत ने खुले तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पर गंभीर आरोप लगाए हैं और वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा की सरकार न बनने का दोष भी विजयवर्गीय पर मढ़ा है।
विजयवर्गीय भाजपा के प्रभावशाली नेता हैं और राष्ट्रीय महासचिव भी। शेखावत के आरोपों के बाद संगठन का रवैया सख्त है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कहना है कि शेखावत ने जिन बातों को उठाया है, उस मामले पर उन्हें तलब किया गया है। विजयवर्गीय भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें मालवा में जिम्मेदारी संगठन ने सौंपी है। शेखावत से बात करने के बाद पार्टी कोई निर्णय लेगी।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि कई क्षेत्रीय नेता असंतुष्ट हैं और वे अपने भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। इससे पहले ग्वालियर में कमल माखीजानी को पार्टी की नगर इकाई का अध्यक्ष बनाए जाने पर जमकर विवाद हुआ था। इन असंतुष्टों से पार्टी लगातार संपर्क कर रही है और वरिष्ठ नेताओं के दौरे भी हो रहे हैं। वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों से पुराने कार्यकर्ताओं को समझाया भी जा रहा है। इन कार्यकर्ताओं को संगठन सहित अन्य स्थानों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की भी तैयारी है।
राजनीतिक विश्लेषक साजी थॉमस का कहना है कि भाजपा सत्ता में है और 22 कांग्रेस से आए नेताओं को उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया जा रहा है। ऐसे में कई नेताओं की अपनी महत्वाकांक्षा है और उसी के चलते उनमें असंतोष है। सत्ता और संगठन दोनों के लिए इन असंतुष्ट को मनाने की चुनौती तो है ही। अब देखना होगा कि इन असंतुष्टों को कितना नियंत्रण में रखा जा पाता है।
Created On :   28 Jun 2020 8:30 PM IST