फीका पड़ा किसान आंदोलन फिर हुआ तेज, राकेश टिकैत बोले- नहीं जाएंगे वापस, मंत्री बोले बात करने को तैयार

Faded farmer movement intensified, Rakesh Tikait said, will not go back
फीका पड़ा किसान आंदोलन फिर हुआ तेज, राकेश टिकैत बोले- नहीं जाएंगे वापस, मंत्री बोले बात करने को तैयार
फीका पड़ा किसान आंदोलन फिर हुआ तेज, राकेश टिकैत बोले- नहीं जाएंगे वापस, मंत्री बोले बात करने को तैयार
हाईलाइट
  • तीन कृषि कानून को वापस लेने की मांग 
  • दिल्ली के सीमा पर 200 दिन से किसान कर रहे आंदोलन 
  • राष्ट्रपति के नाम सौंपेंगे ज्ञापन
  • करेंगे एमएसपी की मांग 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली ।  केंद्र की मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन कई महीनों से जारी है। दिल्ली से सटी सीमाओं पर किसान 200 से भी ज्यादा दिनों से धरना पर बैठे हैं। कोरोना की दूसरी लहर के चलते यह आंदोलन थोड़ा फीका पड़ गया था। लेकिन अब एक बार फिर यह आंदोलन तेज होता दिखाई दे रहा है। भारी संख्या में किसान अपनी मांग को मनवाने के लिए दिल्ली से सटी सीमाओं पर पहुंच रहे हैं। 

किसान आंदोलन के ढाई महीने बाद क्या अब थकने लगे हैं किसान - BBC News हिंदी


शनिवार को दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को विरोध-प्रदर्शन करते हुए 7 महीने हो गए हैं। इस मौके पर किसान अपनी नाराजगी व्यक्त कर आज देशभर में राजभवनों के बाहर प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपेंगे। इसके अलावा किसान संगठन एक बार फिर ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं। जिसको देखते हुए किसानों की ट्रैक्टर रैली के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई। दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया गया है। वहीं खबर यह भी है कि कुछ मेट्रो स्टेशनों को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की है।

आपको बता दें कि किसान 26 नवंबर, 2020, से दिल्ली की सीमाओं पर इस कानून के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर विरोध के लिए सिंघू और टिकरी पहुंचे, तब से उनके बीच सरकार से 11 दौर की बातचीत हो चुकी है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले केंद्रीय मंत्री और किसान संगठनों की अंतिम दौर की वार्ता 22 जनवरी, 2021 को हुई थी, लेकिन केंद्र की ओर से एक प्रस्ताव पेश करने के बाद यह टूट गया।

कृषि कानून निरस्त करने की मांग

किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा, यह किसानों के लिए अस्तित्व की बात है। ये कानून किसानों के हित में नहीं है, जिन्हें अपनी जमीन खोने का डर है और जो कुछ फसलों (मुख्य रूप से गेहूं, धान) पर उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिल रहा है। हम यहां कानूनों को निरस्त करने और सरकार से सभी किसानों को सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए अधिनियम लाने की मांग कर रहे हैं। 

राकेश टिकैत बोले, नहीं जाएंगे वापस
राकेश टिकैत ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। टिकैत ने कहा कि अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हो जाओ, क्योंकि हमारी जमीनों को बचाने के लिए संघर्ष तेज करना होगा। केंद्र सरकार को यह सोचना बंद कर देना चाहिए कि किसान जरूर वापस जाएंगे। लेकिन उन्हें मालूम नहीं है कि, मांगें पूरी होने पर ही किसान वापस जाएंगे। हमारी मांग है कि तीनों कानूनों को निरस्त किया जाए और एमएसपी पर कानून बनाया जाए।

 

 

जब लाल किले के पर हुआ था हंगामा
 आपको याद होगा कि 26 जनवरी को किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में ट्रैक्टर रैली निकाली थी। जिसको लेकर दिल्ली में दिनभर हंगामा होता रहा और लाल किले से हमको परेशान कर देने वाली तस्वीरें देखने को मिलती रहीं। जो कभी भूलाई नहीं जा सकती हैं। इस ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए विरोध को देखते हुए, उन्हें अचानक खालिस्तानी, शहरी नक्सली और देशद्रोही कहा गया। किसान इससे बाहर निकलने में कामयाब रहे हैं और लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखा, लेकिन उसके बाद से अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।
 

Created On :   26 Jun 2021 9:21 AM GMT

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