सिविल सेवा से जुड़े लोगों की सोच पॉजिटिव और पारदर्शी होना जरूरी : आलोक रंजन
- संवेदशीलता एवं नैतिकता
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्यसचिव आलोक रंजन का मानना है कि सिविल सेवा से जुड़े लोगों का दायरा बड़ा होता है। लोगों की अपेक्षाएं भी उनसे अधिक होती है। इस कारण उनकी सोच पारदर्शी और सकारात्मक होनी चाहिए।
यूपी के पूर्व मुख्यसचिव आलोक रंजन खुद द्वारा लिखित पुस्तक, लोक सेवा में नैतिकता के विमोचन के मौके पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि नैतिकता सबके लिए जरूरी है। पद एवं प्रोफाइल वालों के लिए तो और भी। चूंकि अगर सिविल सर्वेंट्स में ये गुण होंगे तो उनके निर्णय में भी यह दिखेगा। और वह जनता की सही सेवा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी सोच पॉजिटिव, पारदर्शी होनी चाहिए संवेदशीलता एवं नैतिकता उनके लिए बोनस जैसा है।
उन्होंने सुश्रूत का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण का वैद्य होते हुए भी वह मरणासन्न पड़े लक्ष्मण के इलाज के लिए आधी रात को जाते हैं। गांधीजी अगर आज सबके लिए आदर्श हैं तो उसकी वजह नैतिकता ही है।
पुस्तक क्यों लिखने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 2013 से सिविल सेवा में एथिक्स का पेपर शामिल हुआ। इसकी कोई अधिकृत पुस्तक नहीं थी। यह किताब उस कमीं की तो भरपाई करेगी ही सिविल सर्वेंटस के लिए भी उपयोगी होगी। अपने लंबे सेवा काल के अनुभव से मैंने इसमें 100 से अधिक उदाहरण शामिल किए हैं। हीरा लाल ने कहा, नैतिकता सबसे बड़ी ताकत है। पाठ्यक्रम में आने का मतलब इसकी कमी आ रही है या यह एक लोकसेवक के लिए जरूरी है।
इसके पूर्व पुस्तक की प्रस्तावना रखते हुए अमृता दास ने कहा आप समाज में जो बदलाव देखना चाहते हैं उसकी शुरूआत खुद से करें। आलोकजी ने खुद ये किया है। चैलेंजेज के बावजूद उन्होंने खुद को एक आदर्श नौकरशाह के रूप में साबित किया। उसी अनुरूप सम्मान भी अर्जित किया। इंटेलिजेंस और संवेदना के समन्वय से ही कोई सफल एवं लोकप्रिय हो सकता है।
आईएएनएस
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Created On :   4 Oct 2022 1:30 PM IST