15 साल बाद पटरी पर दौड़ी राष्ट्रपति की शाही रेलगाड़ी, ये है खासियतें

Know about the royal journey of the President, the royal salon
15 साल बाद पटरी पर दौड़ी राष्ट्रपति की शाही रेलगाड़ी, ये है खासियतें
15 साल बाद पटरी पर दौड़ी राष्ट्रपति की शाही रेलगाड़ी, ये है खासियतें
हाईलाइट
  • 15 साल बाद राष्ट्रपति करेंगे रेल की सवारी
  • कोविंद के लिए तैयार अत्याधुनिक सैलून
  • सुरक्षा से लेकर वाईफाई तक हर सुविधा से लैस

डिजिटल डेस्क दिल्ली । भारत के प्रथम नागरिक और 14 वें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को चार दिन के उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं, इस दौरे की खास बात ये है कि, वो जिस स्पेशल ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं वो काफी सुर्खियों में बना हुआ है, जाहिर है सुर्खियां बने भी क्यों ना, जो 330 एकड़ में फैली 340 कमरे में रह रहा हो और वह जब सफर करे तो सुर्खियां ना बने, भारतवासियों में हमेशा से ही भारत के राष्ट्रपति के रहन-सहन और उनसे जुड़ी खबरों को जनाने की उत्सुकता रहती है, चाहे वो प्लेन से सफर करें या फिर ट्रेन से। 

15 साल बाद निकला शाही सैलून
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शुक्रवार को विशेष ट्रेन से कानपुर देहात के अपने गांव परौंख जा रहे हैं। इस दौरान वह अपने स्कूल के दिनों के दोस्तों और समाजसेवा के शुरुआती दिनों के अपने पुराने परिचितों के साथ मुलाकात कर चर्चा करेंगे। आपको जान कर हैरानी होगी कि 15 साल के लंबे समय के बाद कोई राष्ट्रपति ट्रेन में सफर कर रहा है। इससे पहले 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस ट्रेन में सफर किया था। ट्रेन से अपने गांव जाने वाले रामनाथ कोविंद भारत के तीसरे राष्ट्रपति हैं। सबसे पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ट्रेन से अपने गांव जीरादेई गए थे। 

Railways to build Rs. 8cr high-tech train for next President | NewsBytes

अखिर क्या है शाही सैलून?
दरअसल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद जिस विशेष ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं वो ट्रेन कई अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस विशेष ट्रेन में एक जैसे दो अत्याधुनिक कोच लगे होते हैं, जिसे शाही सैलून का नाम दिया गया है, जिसमें डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लॉन्ज रूम या कांफ्रेंस रूम और प्रेसीडेंट के आराम करने के लिए बेडरूम भी होता है। सुरक्षा के लिहाज से इसमें कई तरह के सिक्योरिटी फीचर को एड किया गया है। 

Know the all the key features of this President’s state of the art Maharaja style special train 

 

वाह! क्या शाही सैलून है 
इस शाही सैलून में आपको लगेगा ही नहीं कि आप किसी ट्रेन में सफर कर रहें है, ऐसा लगेगा मानो आप किसी फाइव स्टार होटल में आराम कर रहे हैं, यह सैलून शाही शानो-शौकत की तर्ज पर सजा हुआ है, हालांकि यह ट्रेन की कैटगरी में नहीं आती लेकिन यह भारतीय रेल की पटरियों पर चलती है। कोच का नंबर 9000 और 9001 होता है। इस अत्याधुनिक कोच को 1956 में दिल्ली में बनाया गया था। कोच में डाइनिंग रूम, विजिटिंग रूम, लॉन्ज रूम या कांफ्रेंस रूम और प्रेसीडेंट के आराम करने के लिए बेडरूम भी होता है। इसके अलावा एक मॉडुलर किचेन और राष्ट्रपति के सचिव एवं अन्य स्टाफ के लिए चैंबर बने होते हैं। 

जानिए शाही सैलून का पूरा इतिहास 
प्रेसीडेंशियल सैलून का इस्तेमाल सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने किया था। हांलाकि पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था। इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे। उस समय खस मैट को कूलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में सफर किया था, इसके बाद इस शाही सैलून में कई तरह के बदलाव किए गए अब यह ट्रेन बुलेट प्रूव है। ट्रेन को सैटेलाइट कम्युनिकेशन और वाई फाई से भी जोड़ दिया गया है

Presidential saloon unused since 2004, may go off track - Mail Today News

 

 

जानिए शाही सफर का पूरा शेड्यूल 
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति बनने के बाद कोविंद की अपने जन्मस्थान की यह पहली यात्रा है। कोविंद 25 जून को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर विशेष ट्रेन से कानपुर के लिए रवाना होंगे। ट्रेन कानपुर देहात के झिंझक और रुरा दो जगह रुकेगी,
ये दोनों स्थान राष्ट्रपति के जन्मस्थान परौंख गांव के निकट हैं। यहां 27 जून को उनके सम्मान में दो समारोहों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही कोविंद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की दो दिवसीय यात्रा के लिए 28 जून को कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन से ट्रेन में रवाना होंगे। 

 


जब डॉ राजेंद्र प्रसाद प्रेसीडेंशियल सैलून से गए थे पैतृक गांव

इस प्रेसीडेंशियल सैलून में पहले भारतीय राष्ट्रपति के तौर पर सबसे पहले शाही सफर 1950 में  भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने किया था, और सबसे ज्यादा भारतीय ट्रेन में सफर करने का रिकॉर्ड भी डॉ राजेंद्र प्रसाद के नाम पर है, डॉ राजेंद्र प्रसाद ने तीन दिन की यात्रा की थी, जब वो अपने पैतृक गांव दिल्ली से छपरा के लिए रवाना हुए थे, हांलाकि इसके बाद कई राष्ट्रपति ने ट्रेन में सफर किया जिसमें डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन,डॉ नीलम संजीव रेड्डी शामिल हैं । हांलाकि लम्बे समय के बाद 2006 में मिसाइल मैन डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम ने इस ट्रेन से यात्रा की।  

Created On :   25 Jun 2021 7:54 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story