अवसरवादी चीन ने जी-20 में तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध समाप्त करने पर दिया जोर

Opportunistic China insists on ending sanctions against Taliban in G20
अवसरवादी चीन ने जी-20 में तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध समाप्त करने पर दिया जोर
तालिबान अवसरवादी चीन ने जी-20 में तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध समाप्त करने पर दिया जोर
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  • अवसरवादी चीन ने जी-20 में तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध समाप्त करने पर दिया जोर

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यिस ने तालिबान के खिलाफ प्रतिबंध हटाने की बात की है।

चीनी विदेश मंत्रालय ने अपने शीर्ष राजनयिक का हवाला देते हुए एक बयान में कहा कि अफगानिस्तान पर एक आभासी (वर्चुअल) जी-20 बैठक में बोलते हुए, वांग ने कहा कि अफगानिस्तान के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध समाप्त होना चाहिए।

चीनी तर्क का सार यह है कि तालिबान ने एक वैध सरकार बनाई है, जो किसी भी तरह लोकप्रिय इच्छा को दर्शाती है।

पिछले महीने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने तालिबान के सत्ता में आने के बाद कहा था, चीन स्वतंत्र रूप से अपने भाग्य का निर्धारण करने के लिए अफगान लोगों के अधिकार का सम्मान करता है और अफगानिस्तान के साथ मैत्रीपूर्ण और को-ऑपरेटिव संबंध विकसित करने के लिए तैयार है।

तो क्या अफगान लोगों ने स्वतंत्र रूप से निर्धारित किया है कि वे तालिबान को अपना वैध शासक बनाना चाहते हैं? हरगिज नहीं। इसके विपरीत, लोकतंत्र के सभी मानकों के अनुसार, तालिबान वैधता परीक्षण में विफल रहा है। न तो उन्हें चुना गया है, न ही उनके शासन को जनमत संग्रह या अफगानिस्तान के लोगों द्वारा लोकतांत्रिक मान्यता के किसी अन्य रूप के माध्यम से वैध बनाया गया है।

दरअसल, तालिबान की कार्यवाहक सरकार की नाजायजता चौंकाने वाली है। सरकारी मंत्रियों की अंतिम पंक्ति को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) द्वारा चुना गया है। यह रिकॉर्ड की बात है कि विभागों के बंटवारे को लेकर तालिबान के विभिन्न गुटों में कथित झगड़े के बाद पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी के प्रमुख, फैज हमीद को काबुल भेजा गया था। हंगामे के बाद, हमीद ने सुनिश्चित किया कि मुल्ला बारादर और शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई की पसंद के प्रतिनिधित्व वाले अधिक उदारवादी दोहा गुट को पूरी तरह से किनारे कर दिया जाए। इसके बजाय उन्होंने पाकिस्तान समर्थित हक्कानी नेटवर्क के दिग्गजों को तवज्जो देने पर जोर दिया। हक्कानी नेटवर्क एक घोषित आतंकवादी संगठन है और इसके प्रमुख सदस्य भी घोषित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इनामी आतंकी हैं। यह अपने नार्को-आतंकवादी साम्राज्य स्थापित करने के लिए जाना जाता है और इस संगठन से जुड़े लोगों को बड़े पद मिले हैं। नतीजतन, हक्कानी ने काबुल में नई पाकिस्तान समर्थक सरकार का मूल गठन किया है।

इसके अलावा, काबुल सरकार की अवैधता स्पष्ट है क्योंकि इसने देश के बड़े अल्पसंख्यकों को सत्ता के पदों से हटा दिया है, जिनमें जातीय समूह जैसे ताजिक, हजारा और उज्बेक शामिल हैं। तालिबान की कार्यवाहक सरकार में लगभग पूरी तरह से बहुसंख्यक पश्तूनों का बोलबाला है और अल्पसंख्यक समुदायों के साथ ही महिलाओं की भागीदारी को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है।

फिर भी, चीन पाकिस्तान समर्थित नार्को-तानाशाही के लिए फ्रंट फुट पर है, जिसने अफगानिस्तान में सत्ता पर कब्जा कर लिया है।

मुख्य रूप से खतरनाक हक्कानियों को लाभ पहुंचाने वाले प्रतिबंधों को हटाने का आह्रान करके, चीन के ²ष्टिकोण से घोर अवसरवाद की बू आ रही है। हक्कानी नेटवर्क से जुड़े लोगों के हाथ खून से सने हैं और उनके सिर पर लाखों डॉलर के इनाम है। लेकिन बीजिंग को उम्मीद है कि पाकिस्तान में हक्कानी और उनके हामीदारों के साथ फॉस्टियन सौदेबाजी में प्रवेश करके, वे झिंजियांग में उइगर अलगाववाद के समर्थन को कम करने का प्रबंधन करेंगे, भले ही इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक को बढ़ावा भी क्यों न मिल रहा हो।

अंत में, चीन इस उम्मीद में एक नाजायज तालिबान का समर्थन कर रहा है कि उसका गैर-सैद्धांतिक ²ष्टिकोण उसकी भव्य भू-आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में मदद करेगा।

यह सर्वविदित है कि, अफगानिस्तान के विशाल संसाधनों के लालच में, चीनी एक विशाल भू-आर्थिक साम्राज्य का निर्माण करना चाहते हैं, जिसमें एक विस्तारित चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इसकी महत्वपूर्ण धमनी के रूप में है। तालिबान चीनी महत्वाकांक्षा से अच्छी तरह वाकिफ है। तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन के हवाले से कहा गया है कि अफगानिस्तान सीपीईसी में शामिल होना चाहता है। अभी तक सीपीईसी दक्षिण में ग्वादर के पाकिस्तानी बंदरगाह से शुरू होता है और उत्तर में चीन के शिनजियांग क्षेत्र के काशगर में समाप्त होता है।

शाहीन ने चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क (सीजीटीएन) से कहा, चीन एक विशाल अर्थव्यवस्था और क्षमता वाला एक बड़ा देश है - मुझे लगता है कि वे अफगानिस्तान के पुनर्वास और पुनर्निर्माण में एक बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

(यह आलेख इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)

--इंडिया नैरेटिव

(आईएएनस)

Created On :   24 Sept 2021 5:30 PM IST

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