- पार्टी के लिए चिंतित हूं, कमजोर नहीं करना चाहता : आनंद शर्मा
- उज्जैन के महाकाल मंदिर में अब मिलेगी गाइड की सुविधा
- अमेरिका-मेक्सिको सीमा के पास कार दुर्घटना में 13 की मौत
- पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी की कोर ग्रुप की बैठक आज
- बाइडन प्रशासन ने पहली बार रूस पर लगाया प्रतिबंध, जहर बनाने के कारोबार पर लगाई लगाम
Meet: सोनिया गांधी कल से असंतुष्ट नेताओं से मिलेंगी, नाराजगी दूर कर रणनीति पर करेंगी चर्चा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस में नेतृत्व का संकट जारी है, जिससे कई बार अंदरूनी घमासान की स्थितियां भी बनती दिखाई दी हैं। खबर है कि इसका हल निकालने के लिए पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शीर्ष नेताओं की एक बैठक शनिवार को बुलाई है। इस बैठक में सोनिया गांधी पार्टी के उन असंतुष्ट नेताओं से भी मुलाकात करेंगी, जिन्होंने चार महीने पहले कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्टी लिखकर पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। इस चिट्टी के बाद कांग्रेस कार्य समिति ;सीडब्ल्यूसी की बैठक में भी घमासान भी मचा था।
बता दें कि बीते दिनों कांग्रेस में सक्रिय नेतृत्व और व्यापक संगठनात्मक बदलाव की मांग को 23 नेताओं के समूह ने पत्र लिखा था। इसके बाद चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को पार्टी के दूसरे नेताओं ने निशाने पर ले लिया था और दोनों खेमे की ओर से आरोप.प्रत्यारोप लगाए जाने लगे थे।
दुनियाभर में 7.48 करोड़ पहुंचा संक्रमितों की आंकड़ा
पार्टी में इन अंदरूनी घमासानों को रोकने के लिए इस बैठक की बात सामने आई थी। जिसमें पत्र लिखने वाले समूह में शामिल कुछ नेताओं के सोनिया गांधी से मुलाकात की बात सामने आई थी। सूत्रों के अनुसार, सोनिया गांधी के साथ इन नेताओं की मुलाकात की भूमिका तैयार करने में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यममंत्री कमलनाथ की अहम भूमिका है, जो आगामी बैठक में भी शामिल होंगे।
बता दें कि हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। सूत्रों बताते हैं कि कमलनाथ ने मिलकर कांग्रेस अध्यक्ष को सलाह दी थी कि उन्हें खुद पार्टी के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं से मिलकर उनकी नाराजगी दूर करनी चाहिए।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में सोनिया गांधी से कुछ ऐसे नेता भी मिल सकते हैं जो लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। हालांकि वे पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में शामिल नहीं हैं। मुलाकात के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी उपस्थित रहेंगी या नहीं। फिलहाल अभी यह भी स्पष्ट नहीं है।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।