मोदी सरनेम मामले में उलझे हैं कई कानूनी पेंच! राहुल गांधी की दलीलों में पूर्णेंश मोदी पर भी निशाना, मोदी समाज को लेकर भी दी दलील

These five arguments of Rahul Gandhi in Surat Sessions Court will cross new lines
मोदी सरनेम मामले में उलझे हैं कई कानूनी पेंच! राहुल गांधी की दलीलों में पूर्णेंश मोदी पर भी निशाना, मोदी समाज को लेकर भी दी दलील
मोदी सरनेम मामला मोदी सरनेम मामले में उलझे हैं कई कानूनी पेंच! राहुल गांधी की दलीलों में पूर्णेंश मोदी पर भी निशाना, मोदी समाज को लेकर भी दी दलील

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोदी सरनेम को लेकर राहुल गांधी इन दिनों खूब सुर्खियों में बने हुए हैं। मोदी उपनाम पर की गई टिप्पणी राहुल गांधी को अब तक भारी ही पड़ी है। पहले कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया फिर उनको अपनी सदस्यता से हाथ धोना पड़ा। बीते दिन यानी 3 अप्रैल को राहुल गांधी अपने दल बल के साथ गुजरात के सूरत कोर्ट पहुंचे हुए थे। जहां पर उन्होंने कोर्ट के सामने अपनी दलीलें रखीं। आइए पांच प्वांइट में समझते हैं कि आखिर कोर्ट के अंदर राहुल गांधी की लीगल टीम ने जज के सामने क्या-क्या बातें रखी थीं।

दलील-1

राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील आरएस चीमा, किरीट पानवाला और तरन्नुम चीमा ने सूरत के सेशंस कोर्ट के सामने दलीलें रखी थी। राहुल की लीगल टीम ने कोर्ट के सामने कहा कि, जिस मानहानि मामले में राहुल गांधी को दो साल की सजा का एलान किया गया है वह वास्तव में उस व्यक्ति की याचिका पर नहीं होना चाहिए। लीगल टीम ने कहा कि, पूर्णेंश मोदी को इसका अधिकार नहीं हैं क्योंकि इस मामले में केवल नरेंद्र मोदी ही मानहानि का केस कर सकते हैं। लीगल टीम ने कहा कि, "व्यक्तिगत रूप से नरेंद्र मोदी के खिलाफ कथित लांछन के लिए, केवल नरेंद्र मोदी को ही मानहानि के अपराध से पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जा सकता है। वहीं इसके लिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पूर्णेश मोदी को कोई अधिकार नहीं है।"

दलील-2

अपनी बचाव में राहुल की ओर से दूसरी दलील यह दी गई कि हम विपक्ष हैं, हमें सरकार को लेकर सक्रिय और आलोचक की भूमिका निभाना पड़ता है। जो हमारा काम भी है। राहुल की लीगल टीम ने कोर्ट के समक्ष यह दलीलें रखी कि, विपक्षी नेता ऐसा करते हुए हमेशा शब्दों को सुनहरे तराजू से तौल नहीं सकते हैं, इसलिए अदालतों को भाषण के स्वर और भाव की जगह सार और भावना पर ध्यान देना चाहिए।

दलील-3

लीगल टीम की ओर से तीसरी दलील दी गई कि राहुल गांधी के बयान से शिकायतकर्ता को झटका इसलिए लगा था क्योंकि उनकी भावना और प्रतिष्ठा आहत हुई थी। लेकिन इन सबसे वो पीड़ित व्यक्ति नहीं बन जाते हैं।

दलील-4

राहुल गांधी की लीगल टीम ने अपनी चौथी दलील कोर्ट के सामने यह रखी थी कि, मोदी सरनेम केवल हिंदुओं की कई जातियों के अलावा मुस्लिम और पारसी भी उपनाम के तौर पर रखते हैं। दलील में राहुल ने कहा कि, "मोद वानिक समाज और मोद गांची समाज सालों से साथ में रहते आए हैं। लेकिन शिकायतकर्ता की ओर से दिए गए दस्तावेजों में कहीं भी मोदी समाज का जिक्र नहीं है।" 

दलील-5

राहुल गांधी की लीगल टीम की ओर से पांचवी दलील में यह दिया गया कि, पूर्णेश मोदी ने राजनीतिक उद्देश्यों के चलते मानहानि का मामला दर्ज कराया था। मानहानि अपराध क्रिमिनल प्रोसिजर कोड 1973 के तहत अनुच्छेद 2 डब्लयू समन केस के तहत आता है। जबकि मौजूदा केस में वारंट केस की प्रक्रिया अपनाई गई है।

राहुल गांधी जब सूरत कोर्ट पहुंचे तो हजारों की संख्या में उनके कार्यकता कोर्ट के बाहर खड़े हुए थे और अपने नेता के समर्थन में जमकर नारेबाजी कर रहे थे।

क्या है मामला?
 
दरअसल, साल 2019 के लोकसभा चुनाव को दौरान राहुल गांधी कर्नाटक के दौरे पर गए हुए थे। जहां पर उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी। कर्नाटक के कोलार में दिए गए भाषण में राहुल ने कहा था कि "सारे मोदी सरनेम वाले चोर ही क्यों होते हैं"? राहुल के इस भाषण से ओबीसी समाज का अपमान बताते हुए गुजरात बीजेपी के नेता पूर्णेश मोदी ने सूरत कोर्ट में उनके खिलाफ मानहानि का केस दर्ज करा दिया था। जिसमें कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी पाया और 23 मार्च को उन्हें अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई, लेकिन उन्हें फौरन ही बेल तो मिल गई। लेकिन लोकसभा सदस्यता दो साल की सजा सुनाई जाने की वजह से चली गई थी। 

Created On :   4 April 2023 10:35 AM GMT

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