इतिहास लिखने वालों ने अभाविप के साथ नहीं किया न्याय - पुस्तक ध्येय यात्रा विमोचन के दौरान बोले दत्तात्रेय होसबाले
- कार्यकर्ताओं को कार्य की प्रेरणा और आधार मिले
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को सात दशकों की यात्रा को दर्शाती पुस्तक ध्येय यात्रा का विमोचन गुरुवार को दिल्ली के अम्बेडकर इंटरनेशनल भवन में आर एस एस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसाबले द्वारा किया गया। इस दौरान उन्होंने कहा कि, इतिहास लिखने वालों ने अभाविप के साथ न्याय नहीं किया, हम इतिहास बनाते हैं।
इस विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों में पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर, अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष छगन भाई पटेल व अभाविप की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी भी उपस्थित रहीं। विमोचन में उपस्थित, रा.स्व.स के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, ध्येय यात्रा का प्रकाशन कोई आत्म-स्तुति के लिए नहीं किया गया है बल्कि इसके पीछे यह उद्देश्य है कि आगामी कार्यकर्ताओं को कार्य की प्रेरणा और आधार मिल सके तथा छात्र संगठन का जो विशिष्ट दर्शन जो अभाविप ने विकसित किया है, उससे लोग परिचित हो सकें, और उसे समझ सकें।
दरअसल, 9 जुलाई, 1949 को अस्तित्व में आया यह छात्र संगठन, विगत सात दशकों में, देश के हर जनहितकारी आंदोलन एवं जनकल्याणकारी कार्यों में अपनी भूमिका निभाता रहा है। यह पुस्तक, अभाविप के रचनात्मक, आंदोलनात्मक एवं प्रतिनिधित्वात्मक कार्यशैली से राष्ट्र-पुनर्निर्माण के कार्य में संगठन द्वारा निभाई गयी अपरिहार्य भूमिका का आलेख है। इसके अलावा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि, विद्यार्थी परिषद बोलने का नहीं अपितु सीखने का मंच है। हम भारतीय छात्र आज विश्व के श्रेष्ठ स्थानों पर हैं परंतु हमारी कमजोरी यह है कि हम भावुक हो जाते हैं। जब आत्मनिर्भरता की भावना सभी जगह पहुंच जाएगी तब सारी समस्याएं समाप्त होंगी।
वर्तमान में 3900 से अधिक इकाइयों, 2331 संपर्क स्थानों, 21 हजार शैक्षणिक परिसरों में कार्यरत 32 लाख कार्यकर्ताओं तथा पूर्व में कार्यकर्ताओं की कई पीढ़ियों द्वारा पूरे मनोयोग से सींचे जाने का ही परिणाम है कि आज अभाविप विश्व के सबसे सशक्त छात्र संगठन के रूप में उभरा है। इस पुस्तक में इतिहास के बहुत से विशेष कालखंडों का उल्लेख किया गया है जिसमें युवाओं की विशेष भूमिका रही है। कश्मीर काल खंड, इमरजेंसी का दौर, बांग्लादेश घुसपैठ आंदोलन, चिकन नेक आंदोलन, नकसलवाद की समस्या जैसे कई महत्वपूर्ण इतिहास की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है जिनका वर्तमान राष्ट्रीय विमर्श में भी प्रभाव देखा जा सकता है।
(आईएएनएस)
Created On :   16 April 2022 12:30 AM IST