झारखंड सरकार को लेकर बनी हुई वेट एंड वॉच की स्थिति, ईसी, राजभवन और सोरेन सरकार ने एक दूसरे पर टिका रखी है नजर

- राजभवन के फैसले पर टिकी सबकी नजर
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड में सोरेन संकट अभी टला नहीं है। संकट को लेकर लोग अलग तरह की भ्रांतियां पाल रहे हैं। सूबे की जनता सीएम सोरेन की सदस्यता को लेकर अनिश्चितता और असमंजस में पड़े है। सोरेन पर एक पद पर रहते हुए दूसरे जगह से लाभ लेने का आरोप लगा है। जो चुनाव नियमों का उल्लंघन है।
झारखंड में पनपे संकट में वेट एंड वाॉच की स्थिति हर तरफ से हो रही है। बीजेपी किसी भी जल्दबाजी के मूड में नहीं है। भाजपा चाहती है कि सोरेन के खिलाफ जितना माहौल बनाया जाए कम है। बीजेपी के झारखंड प्रभारी दिलीप सैकिया राज्य में डेरा डाले हुए हैं। राजभवन सोच रहा है कि सोरेन सरकार खुद से इस्तीफा दे। वहीं सोरेन सरकार सोच रही है कि राज्यपाल अपनी चिट्ठी के फैसले को ओपन करें। इसी बीच सोरेन ने पांच सितंबर को विशेष सत्र भी बुलाया है। इस बीच सोरेन सरकार कैबिनेट के जरिए कुछ सियासी फायदे वाले काम भी कर सकती है।
इलेक्शन कमीशन की अनुशंसा रिपोर्ट पर राजभवन एक सप्ताह से अधिक समय से खामोश है। जिस पर वहां कि गठबंधन सरकार के नेता आरोप लगा रहे है, कि मामले को जानबूझकर टाला जा रहा है। इसे लेकर झामुमो और बीजेपी के नेता एक दूसरे पर आरोप लगा रहे है। सोरेन सरकार में शामिल नेता बीजेपी पर आरोप लगा रहे है कि राजभवन लंबा वक्त इसलिए खींच रही है कि ताकि उसे विधायक खरीदने का टाइम मिल जाए। वहीं बीजेपी इसके लिए सोरेन सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रही है। सोरेन सरकार ने अपने विधायकों को खरीदी के डर से रायपुर भेज दिया है।
आपको बता दे चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द करने की अनुशंसा रिपोर्ट राज्यपाल को भेजी थी। जिस पर अभी तक राज्यपाल ने कोई फैसला नहीं लिया। उधर सोरेन भी कुर्सी नहीं छोड़ रहे। लेकिन राजभवन, चुनाव आयोग और मुख्यमंत्री आवास के बीच फंसी झारखंड सरकार पर जनता का सब्र बरकरार है। तीनों में से अभी फ्रंट पर कोई खेलना नहीं चाह रहा।
Created On :   2 Sept 2022 12:41 PM IST