बारामती सीट पर हलचल तेज!: वोटिंग के बीच सुप्रिया सुले अजित पवार के घर पहुंचीं, क्या है इसके सियासी मायने?

वोटिंग के बीच सुप्रिया सुले अजित पवार के घर पहुंचीं, क्या है इसके सियासी मायने?
  • बारामती सीट पर वोटिंग जारी
  • सुप्रिया सुले के खिलाफ अजित पवार की पत्नी चुनावी मैदान में
  • वोटिंग के बाद सुप्रिया सुले अजित पवार के घर पहुंचीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 11 राज्यों की 93 सीटों पर वोटिंग जारी है। जिसमें महाराष्ट्र की बारामती सीट भी शामिल है। यहां से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और डिप्टी सीएम अजित पवार की पत्नी सुनेत्र पवार के बीच कांटे की टक्कर है। हाल ही में अजित पवार अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर बीजेपी के साथ चले गए। ऐसे में सुप्रिया सुले का मुकाबला एनडीए प्रत्याशी सुनेत्र पवार से हैं। जोकि सुप्रिया सुले की भाभी हैं। इस बीच मंगलवार को वोटिंग के दौरान सुप्रिया सुले ने अपनी राजनीतिक सूझबूझ का ऐसा परिचय दिया, जिसकी अब खूब चर्चा हो रही है।

दरअसल, मंगलवार को वोटिंग के तुरंत बाद सुप्रिया सुले अपने भाई अजित पवार के काटेवाड़ी स्थित घर पहुंचीं। जहां उन्होंने अजित पवार की मां आशा पवार से मुलाकात की। जो रिश्ते में उनकी ताई लगती हैं। सुप्रिया सुले की इस मुलाकात के बाद बारामती सीट पर समीकरण बदलता दिखाई दे रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर इतने दिनों बाद अचानक वोटिंग के दिन सुप्रिया सुले अजित पवार के घर क्यों पहुंच गईं? इस चुनाव में पहली बार अजित पवार गुट और शरद पवार गुट आमने-सामने हैं। दोनों गुट की ओर से बारामती सीट पर निजी हमले भी किए गए हैं। एक तरफ शरद पवार को रोहित पवार, श्रीनिवास पवार जैसे परिवार के लोगों का सहयोग मिलता दिखाई दिया। वहीं, अजित पवार चुनाव के दौरान कहते दिखे थे कि उन्हें अकेला छोड़ दिया गया है।

'मेरे लिए राजनीति और परिवार अलग-अलग'

अजित पवार के घर जाने के बाद सुप्रिया सुले से जब मीडिया ने मुलाकात के बारे में सवाल किए। इस पर सुप्रिया सुले ने साफ कहा कि वह मेरी आंटी और अंकल का भी घर है। मेरे परिवार के कई लोग वोट करने आए थे। इसके बाद मैंने उनसे मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। बता दें कि, मंगलवार को वोटिंग के दिन सुप्रिया सुले ने परिवार के अन्य लोगों से भी मुलाकात की। उन्होंने कहा कि मेरे लिए परिवार और राजनीति अलग हैं। दोनों चीजों को हम एक साथ नहीं मिला सकते हैं।

क्या है इसके सियासी मायने?

हालांकि, इस मसले पर राजनीतिक जानकारों को मानना है कि सुप्रिया सुले अपने परिवार को एक साथ लेकर चलना चाहती है। भले ही अजित पवार बागी हो गए हों। इसके साथ ही लोकसभा सीट पर ये मैसेज भी जाएगा कि पवार परिवार भले ही आमने सामने आ गया हो लेकिन पारिवारिक रिश्ते अब भी बरकरार हैं। जिसके चलते वोटर्स का कंफ्यूजन दूर होगा और हो सकता है कि जो अजित पवार की पत्नी को वोट देने निकले हों वो भी परिवार को एक मानकर सुप्रिया सुले को ही वोट दें। इसके अलावा भी ये भी तय है कि इस एक कदम से लोकसभा सीट पर हर तरफ सुप्रिया सुले के नाम की ही चर्चा होती रही, इसका फायदा भी सुप्रिया सुले को ही मिलने की संभावना ज्यादा है।

Created On :   7 May 2024 10:57 AM GMT

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