बृजभूषण के खिलाफ छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के साथ कई गंभीर धाराओं में दर्ज की गई दो FIR, इनमें सजा का क्या है प्रावधान?

बृजभूषण के खिलाफ छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट के साथ कई गंभीर धाराओं में दर्ज की गई दो FIR, इनमें  सजा का क्या है प्रावधान?
  • बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर दर्ज एफआईआर सामने आ चुकी है।
  • दूसरी एफआईआर एक नाबालिग के पिता ने दर्ज कराई है।

डिजिटल डेस्क,दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर दर्ज एफआईआर सामने आ चुकी है। बृजभूषण पर एक नहीं बल्कि दो एफआईआर दर्ज की गई है। जिसमें उनके खिलाफ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के करीब 10 मामलों का जिक्र है।

इन मामलों में बृजभूषण के खिलाफ गलत तरीके से छूना, किसी भी बहाने से छाती पर हाथ रखने की कोशिश करना,पीछा करना साथ ही यौन संबंध बनाने का दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। खिलाड़ियों ने यह भी कहा है कि बृजभूषण ने उनके साथ कई बार छेड़छाड़ की है।

पहलवानों ने 21 अप्रैल को बृजभूषण के खिलाफ कनॉट प्लेस थाने में शिकायत दी थी। बता दें सुप्रीम कोर्ट जाने के बाद पहलवानों की शिकायत दिल्ली पुलिस ने 28 अप्रैल को दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज किया था। अब दोनों ही एफआईआर की कॉपी सामने आई है। एफआईआर में जिन घटनाओं का जिक्र किया गया है वह कथित तौर पर 2012 से 2022 तक देश और विदेश में अलग-अलग हिस्सों में हुई।

बृजभूषण पर दर्ज धाराएं

दिल्ली पुलिस ने एफआईआर में आईपीसी की धारा 354 (महिला की शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला करना या आपराधिक बल प्रयोग),354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) 34 (सामान्य इरादे) में शिकायत दर्ज की गई है। बृजभूषण के खिलाफ दर्ज की गई पहली एफआईआर पर छह वयस्क पहलवानों के आरोप शामिल हैं. इसमें रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूएफआई) के सचिव विनोद तोमर का भी नाम है।

धारा 354 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से, उसके साथ गलत मंशा के साथ जोर जबरदस्ती करता है या आपराधिक बल का उपयोग करता है तो वह इस धारा के तहत सजा का पात्र होगा। बृजभूषण पर लगे इन आरोपों में न्यूनतम एक वर्ष से तीन साल तक की सजा का प्रावधान है।आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुसार। सजा को अधिकतम पांच साल तक भी बढ़ाया जा सकता है साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा।

पॉक्सो मामले में सजा

भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के ऊपर दर्ज दूसरी एफआईआर में एक नाबालिग के पिता ने दर्ज कराई है। जो पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) अधिनियम की धारा 10 के तहत दर्ज की गई है। किसी नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का शारीरिक शोषण पॉक्सो अधिनियम के दायरे में आता है। ऐसे केसों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है। जिसमें आरोप तय होने पर पांच से सात साल की सजा का प्रावधान है।

Created On :   2 Jun 2023 5:29 AM GMT

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