फरवरी-दिसंबर के बीच भारतीय घरेलू सत्र की वकालत कर सकती हैं शांता

Shanta can advocate for Indian domestic session between February and December
फरवरी-दिसंबर के बीच भारतीय घरेलू सत्र की वकालत कर सकती हैं शांता
फरवरी-दिसंबर के बीच भारतीय घरेलू सत्र की वकालत कर सकती हैं शांता
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आमतौर पर भारतीय क्रिकेट सीजन अक्टूबर से अप्रैल तक चलता है, लेकिन भारतीय बोर्ड की शीर्ष परिषद में खिलाड़ियों का प्रतिनिधत्व करने वाली शांता रंगास्वामी ने कहा है कि वह शनिवार को होने वाली 2020-21 की बैठक में फरवरी से दिसंबर के बीच टूर्नामेंट्स आयोजित कराने का प्रस्ताव रख सकती हैं, अगर कोविड-19 महामारी के कारण सीजन जल्दी शुरू नहीं होता है तो। फरवरी से सितंबर, या फरवरी से दिसंबर में भारतीय घरेलू सीजन कभी आयोजित नहीं किया गया है, लेकिन उनकी सलाह मान ली जाती है तो यह पहली बार होगा। फरवरी और सितंबर के सीजन में कई तरह की मुसीबत जैसे मौसम बाधा बन सकती हैं। सौरव गांगुली की अध्यक्षता में होने वाली शीर्ष परिषद की बैठक में भारतीय घरेलू सत्र एक एजेंडा होगा।

पूर्व भारतीय कप्तान रंगास्वामी ने आईएएनएस से कहा, मुझे लगता है कि अगर आयु वर्ग क्रिकेट और महिला क्रिकेट नहीं खेली जाती है तो वह उत्साह खो देंगी। इसलिए मैं सलाह दूंगी की फरवरी से सितंबर का समय रखा जाए, इसे दिसंबर तक भी बढ़ाया जा सकता है। अगर जरूरत पड़े तो हम कुछ वर्षों तक इस तरह का कार्यक्रम जारी रख सकते हैं, टूर्नामेंट्स सीमित मैदानों पर बायो बबल बनाकर कर सकते हैं। उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि बीसीसीआई के अधिकारी इसे सकारात्मक तरीके से लेंगे क्योंकि इसमें क्रिकेटरों की चिंता शामिल है।

रणजी ट्रॉफी मौजूदा प्रारूप में खेला जाएगा या नहीं इस पर शंका है और ऐसी भी संभावना है कि बीसीसीआई मौजूदा सीजन को पिछले साल दिसंबर तक बढ़ा दे और इसमें आयु वर्ग तथा महिला टूर्नामेंट शामिल करे, अगर वो शांता की सलाह को मान लेती है तो। शीर्ष परिषद भारत के घरेलू सत्र के अलावा अंतर्राष्ट्रीय दौरों पर भी चर्चा करेगी जिसमें आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड का दौरा शामिल है। कुछ राज्य संघों के अधिकारियों ने आईएएनएस से कहा कि रणजी ट्रॉफी को मौजूदा प्रारूप में आयोजित करना मुश्किल होगा क्योंकि हर राज्य में बायो बबल बनाना काफी मुश्किल होगा जिनमें से कई राज्यों के क्वारंटीन नियम अलग है और बीसीसीआई की एसओपी में खिलाड़ियों के स्वास्थ की जिम्मेदारी राज्य संघों पर है।

एक अधिकारी ने कहा, सबसे बड़ी समस्या है कि कोविड की स्थिति तय नहीं है। क्वारंटीन के नियम हर राज्य में अलग हैं। वह बदलते भी हैं। राज्य और जिला संघों की इजाजत की जरूरत पड़ेगी। ऐसा भी नहीं है कि मामले कम हो रहे हों। साथ ही बीसीसीआई ने सारी जिम्मेदारी राज्य संघों पर छोड़ दी है। और राज्य संघों से सहमति फॉर्म दाखिल करने को कहा है। इसमें शंका है कि रणजी ट्रॉफी इस साल उसी प्रारूप में खेला जाए। कुछ राज्य संघों जैसे कर्नाटक में नियम काफी सख्त हैं और वह दिल्ली, महाराष्ट्र तथा गुजरात से आने वाले लोगों के लिए ज्यादा सख्त है। आईपीएल से पहले जब पार्थिव पटेल बेंगलुरू गए थे तो उन्हें सात दिन क्वारंटीन रहना पड़ा था क्योंकि गुजरात उन जगहों में से जहां कोविड-19 ज्यादा हावी है।

रणजी ट्रॉफी में 38 टीमें खेलती हैं। हर टीम आठ-नौ मैच खेलती है। एक ही विकल्प यह है कि चार या पांच जगहों पर बायो बबल बनाई जाए और टीमों को जोनल के आधार पर बांटा जाए। लेकिन इसका मतलब है कि एक टीम को एक जगह तकरीबन दो महीने रुकना होगा।

 

Created On :   16 Oct 2020 6:00 PM GMT

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