पुरस्कार राशि से घर चलाने वाली स्वपना ने ऐसे तय किया एशियन गेम्स में गोल्ड तक का सफर

पुरस्कार राशि से घर चलाने वाली स्वपना ने ऐसे तय किया एशियन गेम्स में गोल्ड तक का सफर
हाईलाइट
  • भारत की स्वप्ना बर्मन ने इतिहास रच दिया है।
  • स्वप्ना भारत के लिए हेप्टाथलॉन खेल में गोल्ड जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं।
  • हेप्टाथलॉन खेल में सात अलग-अलग इवेंट होते हैं।

डिजिटल डेस्क, जकार्ता। भारत की स्वपना बर्मन ने इतिहास रच दिया है। वह भारत के लिए हेप्टाथलॉन में गोल्ड जीतने वाली पहली खिलाड़ी बन गई हैं। इससे पहले बंगाल की सोमा विश्वास और कर्नाटक की जेजे शोभा ने 2002 एशियन गेम्स में सिल्वर जीता था। वहीं प्रमिला ने 2006 दोहा एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज अपने नाम किया था। स्वपना ने हेप्टाथलॉन के लास्ट इवेंट में 808 अंक हासिल किए। इसी के साथ वह इस खेल के सात अलग अलग इवेंट में कुल 6026 अंकों के साथ टॉप पर रहीं। बता दें कि हेप्टाथलॉन खेल में सात अलग-अलग इवेंट होते हैं। इसमें 100मी रेस, हाई जंप, शॉटपुट, 200मी रेस, लॉन्ग जंप, जेवलीन थ्रो और 800मी रेस शामिल होती है। इन्हीं के आधार पर पाइंट्स मिलते हैं और रैंकिंग होती है। वो कहते हैं न, मंजिल उन्ही को मिलती है जिनके सपनों मे जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से ही उड़ान होती है। स्वपना के इस जीत के पीछे उनकी कड़ी मेहनत और संघर्ष है। आइए जानते हैं कि कैसे आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद उन्होंने देश को गौरवान्वित किया।

दोनों पैरों में छह उंगलियां हैं, जूतों में आती है दिक्कत
स्वपना बर्मन का जन्म पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में हुआ। उनके दोनों पैरों में जन्म से ही छह उंगलियां हैं। स्वपना के पिता एक ऑटोरिक्शा ड्राइवर थे, वहीं मां चायपत्ती का व्यवसाय कर घर का पालण पोषण करती थी। बचपन से ही स्वपना को एथलेटिक्स में काफी रुचि थी। वह अक्सर रेस में भाग लिया करती थी। लेकिन उनके लिए उस वक्त सबसे बड़ी चुनौती थी अपने लिए सही जूतों का इंतजाम करना। छह उंगलियां होने की वजह से कोई भी जूता उनके पैरों में सही नहीं आता था। आर्थिक हालात कमजोर होने की वजह से वह बड़े कंपनियों के जूते खरीदने में असमर्थ थी। जब स्वपना 17 साल की थी, तो उनके पिता को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद उन्होंने घर का जिम्मा अपने मजबूत कंधों पर उठा लिया।

कच्चे घर में रहकर पुरस्कार राशि से घर चलाती थी स्वपना
कच्चे मकान में रहने वाली स्वपना अपने परिवार की देखभाल के लिए अपने पुरस्कार राशि का उपयोग करने लगी। 2016 में 20 वर्ष की उम्र में उन्हें एक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में जीतने पर डेढ़ लाख रुपये की राशी मिली। इसके बाद उनका सफर किसी सपने के सच होने जैसा रहा। उनके जीवन में मुश्किलें आती गईं, और एक अच्छी खिलाड़ी की तरह उन्होंने हर बाधाओं को पार किया। 2017 में उन्होंने भुवनेश्वर में आयोजित हुए एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप के हेप्टाथलॉन इवेंट में गोल्ड जीता। हालांकि वह इस प्रतियोगिता के 800मी रेस में गंभीर रूप से चोटिल हो गई थीं। इसके बावजूद उन्होंने इस रेस को चौथे स्थान पर रहते हुए पूरा किया और कुल स्कोर पर गोल्ड जीता। इसके बाद वह ट्रेनिंग के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोलकाता कैंपस में चली गईं। राहुल द्रविड़ एथलीट मेन्टरशिप प्रोग्राम के तहत गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन स्वपना को उनकी तैयारियों के लिए सहायता राशी भी प्रदान करता है। बुधवार को उन्होंने गोल्ड जीत कर यह साबित कर दिया कि अगर इंसान को खुद पर भरोसा हो तो वह कोई भी जीत हासिल कर सकता है।

एशियन गेम्स 2018 में कैसे जीता गोल्ड
स्वपना बुधवार को हेप्टाथलॉन के पहले इवेंट, 100मी रेस में 981 पाइंट्स के साथ पांचवें स्थान पर रहीं। वहीं 200मी रेस उन्होंने 790 पाइंट्स के साथ सातवें स्थान पर रहते हुए पूरी की। इसके बाद उन्होंने अपने खेल के स्तर को उठाते हुए शॉटपुट इवेंट में 707 अंकों के साथ दूसरा स्थान हासिल किया। जबकि हाई जंप (1003 अंक) और जेवलीन थ्रो (872 अंक) में स्वपना ने पहली पोजिशन हासिल की। इसके बाद उन्हें हेप्टाथलॉन के लास्ट इवेंट में अच्छे प्रदर्शन की जरूरत थी। लास्ट इवेंट यानि 800मी रेस में वह चौथे स्थान पर रहीं और कुल अंक के आधार पर स्वपना ने टॉप पर रहकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। चीन की वेंग किंगलिंग ने 5954 पाइंट्स के साथ सिल्वर अपने नाम किया। वहीं जापान की यूकी यामासाकि ने 5873 पाइंट्स के साथ ब्रॉन्ज जीता। स्वपना पांचवीं ऐसी खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने हेप्टाथलॉन में 6000 से ज्यादा का स्कोर किया है।

Created On :   29 Aug 2018 4:35 PM GMT

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