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- Winning medals in Commonwealth Games is not easy: Surendra Kumar
कॉमनवेल्थ गेम्स: राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतना आसान नहीं : सुरेंद्र कुमार

हाईलाइट
- सुरेंद्र ने टीम में अनुभव और युवाओं के मिश्रण की भी प्रशंसा की
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। भारत की पुरुष हॉकी टीम के डिफेंडर सुरेंद्र कुमार ने कहा कि 28 जुलाई से बर्मिघम में शुरू होने वाले कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जितना आसान काम नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा, उनकी टीम एक समय में एक गेम पर योजना बनाएगी, जिसकी शुरुआत घाना के खिलाफ होगी। 28 वर्षीय डिफेंडर ने कहा कि टीम शारीरिक फिटनेस पर ध्यान देने के साथ बेंगलुरू के साई सेंटर में प्रशिक्षण ले रही है।
सुरेंद्र ने कहा, हमारे प्रशिक्षण सत्र अभी भी चल रहे हैं। हमारा ध्यान मुख्य रूप से फिटनेस पर रहा है और हम खेल के इस पहलू पर काम कर रहे हैं। हमने अन्य क्षेत्रों में भी मजबूत होने पर काम किया है। राष्ट्रमंडल खेलों में भारत को पूल बी में इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स और घाना के साथ रखा गया है। वे अपने अभियान की शुरुआत 31 जुलाई को घाना के खिलाफ करेंगे। सुरेंद्र ने कहा कि टीम किसी भी टीम को हल्के में नहीं लेगी।उन्होंने कहा, हम किसी भी मैच को हल्के में नहीं ले रहे हैं। हर टीम स्वर्ण पदक जीतने के लिए टूर्नामेंट में उतरेगी। इस समय हमारा ध्यान घाना के खिलाफ पहले मैच पर है।
हम उनके खेलों की फुटेज बारीकी से देख रहे हैं। हमारे कोच उनके खेल के अनुसार योजना बना रहे हैं और हम मैच के दिन उसी का पालन करने की उम्मीद करेंगे। टूर्नामेंट में कोई आसान टीम नहीं होगी। भारत एफआईएच मेन्स हॉकी प्रो लीग 2021-22 में तीसरे स्थान पर रहा और सुरेंद्र का मानना है कि टूर्नामेंट में कठिन टीमों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के अनुभव से बर्मिघम में भारत को फायदा होगा।
सुरेंद्र ने टीम में अनुभव और युवाओं के मिश्रण की भी प्रशंसा की और बताया कि वरिष्ठ खिलाड़ियों ने अभिषेक और जुगराज सिंह जैसे युवाओं को क्या सलाह दी है। सुरेंद्र ने कहा, हमने खिलाड़ियों से कहा है कि राष्ट्रमंडल खेलों में प्रदर्शन का दबाव महसूस न करें और उन्हें सामान्य खेलों की तरह लें। कोच और सीनियर खिलाड़ी भी उनसे कहते रहे हैं कि उनके पास मजबूत टीमों के खिलाफ खेलने का अनुभव है और इसलिए वे प्रतियोगिता में प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
(आईएएनएस)
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भोपाल: सीआरपीएफ की 93 महिला पुलिसकर्मियों की बुलेट यात्रा का रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में हुआ आगमन
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