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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : क्या अपना अस्तित्व बचा पाएंगे राज ठाकरे ?

डिजिटल डेस्क,मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे शुरू से ही क्षेत्रिय राजनीति में चमकते नजर आए हैं। लेकिन इन दिनों उनकी सियासी पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। साल 2009 के विधानसभा चुनाव में जहां पार्टी ने 13 सीटों पर कब्जा किया था, वहीं साल 2014 के चुनाव में एक सीट पर सिमट गई। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आगामी विधानसभा चुनाव में वह अपना अस्तिव बचा पाएंगे या नहीं?
राज ठाकरे की राजनीति शुरू से उत्तर भारतीय के खिलाफ रही है। मनसे के कार्यकर्ता कई बार मुंबई में उत्तर भारतीय लोगों के खिलाफ हिंसक हुए हैं। वर्ष 2008 में मनसे ने उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ आंदोलन किया था। आंदोलन से करोड़ों की संपत्ति का नुकसान भी हुआ था, लेकिन मनसे प्रमुख को मामूली से जुर्माने पर छोड़ दिया गया।
बाल ठाकरे के स्वभाविक वारिस के तौर पर लोग उनके बेटे उद्धव को नहीं भतीजे राज को देखते थे। लोगों को उम्मीद थी कि ठाकरे कमान राज को हीं सौंपेंगे लेकिन हुआ इसके ठीक उलट। इसके बाद राज ने शिवसेना छोड़ अपनी पार्टी MNS बना ली। साल 2009 में राज ठाकरे की पार्टी 13 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाब रही लेकिन उत्तर भारतीय के खिलाफ राज ठाकरे की राजनीति उन्हें साल 2014 में महज 1 विधायक वाली पार्टी की हैसियत में लाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
2014 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद राज ठाकरे ने भाजपा और शिवसेना के विरोधी पार्टियों से हाथ मिलाने की काफी कोशिश की। लेकिन कांग्रेस और एनसीपी दोनों पार्टियां राज ठाकरे की पार्टी का खुलेआम समर्थन करने से बचती रही। दोनों पार्टियां अच्छे तरीके से जानती है कि मनसे का समर्थन करने से उन्हें केंद्रीय राजनीति में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।