मध्यप्रदेश: राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान-2025 से सम्मानित होंगे लोकेन्द्र सिंह

- सोशल मीडिया एवं ऑडियो-वीडियो कंटेंट के निर्माण में उत्क्रष्ट योगदान के लिए किया जाएगा सम्मान
- मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की ओर से सोशल मीडिया एवं ऑडियो-वीडियो कंटेंट निर्माण
- नागरिकों को सोशल मीडिया का प्रशिक्षण देने में सक्रियता
डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग ने अपने राष्ट्रीय सम्मानों की घोषणा की है, जिसमें इस वर्ष का राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान लोकेन्द्र सिंह राजपूत को प्रदान किया जाएगा। संस्कृति विभाग यह सम्मान प्रतिवर्ष हिन्दी सॉफ्टवेयर सर्च इंजिन, वेब डिजाइनिंग, डिजीटल भाषा प्रयोगशाला, प्रोग्रामिंग, सोशल मीडिया, डिजीटल ऑडियो विजुअल एडीटिंग आदि में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि लोकेन्द्र सिंह देश के जाने-माने ब्लॉगर हैं। सोशल मीडिया और डिजीटल ऑडियो-वीडियो प्रोडक्शन में उनकी सक्रियता है। उनकी डॉक्युमेंट्री फिल्में राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत हैं। नागरिकों को सोशल मीडिया का प्रशिक्षण देने में भी उनकी सक्रियता रहती है। इससे पूर्व मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी भी ‘फेसबुक/ब्लॉग/नेट’ हेतु ‘अखिल भारतीय नारद मुनि’ पुरस्कार से अलंकृत कर चुकी है। वर्तमान में आप माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल में सहायक प्राध्यापक हैं।
ग्वालियर में जन्में लोकेन्द्र सिंह सक्रिय पत्रकारिता में भी रहे हैं। अभी भी देशभर के समाचारपत्र-पत्रिकाओं में नियमित तौर पर समसामयिक आलेख, यात्रा वृतांत, कहानी, कविताएं एवं शोध पत्रिकाओं में शोधपत्रों का प्रकाशन रहता है। आपने सामाजिक, विज्ञान एवं ग्राम विकास के मुद्दों को लेकर वृत्त चित्रों का निर्माण किया है। अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गाँव बाचा पर बनायी गई डॉक्युमेंट्री फिल्म को राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर), केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल में द्वितीय पुरस्कार प्राप्त हुआ। यह फिल्म बाचा ग्राम के विकास एवं वैज्ञानिक अनुप्रयोगों पर आधारित है। ग्राम विकास एवं गो-विज्ञान पर बनायी गई डॉक्युमेंट्री फिल्म ‘गो-वर’ को खूब सराहा गया है। यह डाक्युमेंट्री फिल्म शारदा विहार, भोपाल स्थित ‘कामधेनु गोशाला एवं गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र’ के नवाचारों को आधार बनाकर गाय की महत्ता पर केंद्रित है। इसी तरह छोटे कद को लेकर बनायी फिल्म ‘कद : हाइट डजन्ट मैटर’ ने भी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान फिल्म फेस्टीवल में फिल्म क्रिटिक की सराहना बटोरी है। ध्येयनिष्ठ संपादक माणिकचंद्र वाजपेयी ‘मामाजी’ पर भी आपके बनाए वृत्तचित्र को खूब सराहा गया है। इसके साथ ही आप लम्बे समय से सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय हैं। आपकी अब तक 14 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें हिन्दवी स्वराज्य दर्शन, अंबेडकर : पत्रकारिता एवं विचार, मैं भारत हूं एवं राष्ट्रवाद और मीडिया इत्यादि चर्चित हैं। आपने अपना शोध कार्य भी डिजिटल मीडिया पर पूर्ण किया है।
मध्यप्रदेश से हिन्दी ब्लॉगिंग में आपका नाम राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित है। आपने ऑनलाइन माध्यमों में वर्ष 2006-07 से लेखन प्रारंभ कर दिया था। आपने 2009 में ब्लॉग ‘अपनापंचू’ शुरू किया। ब्लॉग पर समसामयिक विषयों पर आलेखों के अतिरिक्त कहानी, कविता, ललित निबंध, रेखाचित्र, पुस्तक समीक्षाएं और यात्रा वृत्तांत प्रकाशित हैं। विभिन्न संस्थाओं की ओर से जारी की जाने वाली सर्वश्रेष्ठ हिन्दी ब्लॉग डायरेक्टरी में आपका ब्लॉग शामिल रहता है। ब्लॉगिंग पर चर्चा के लिए गूगल भी आपको आमंत्रित कर चुका है। आपकी पहचान ट्रैवल ब्लॉगर के रूप में भी है। नयी पीढ़ी ऑडियो-वीडियो सामग्री बहुत देख-सुन रही है। इसलिए आपने साहित्यिक रचनाओं को युवाओं तक पहुँचाने के लिए उन्हें ऑडियो-वीडियो के प्रारूप में लाने का काम भी किया है। युवाओं को साहित्य से जोड़े रखने के लिए आपने सोशल मीडिया के माध्यम से ऑडियो-विजुअल सामग्री का उपयोग करके अनूठे प्रयोग किए हैं। मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थलों, विशेषकर अमरकंटक पर आपके वीडियो ब्लॉग सराहनीय हैं। इसके अतिरिक्त आप फेसबुक, ट्वीटर, इंस्टाग्राम पर भी साहित्यिक लेखन को साझा करते हैं। ऑनलाइन साहित्यिक पत्रिकाओं एवं प्रतिष्ठित वेबसाइट्स पर भी आपका लेखन नियमित है। वर्तमान समय में ऑनलाइन माध्यमों की पहुँच व्यापक है। ऑनलाइन माध्यमों के पाठक भी बढ़ गए हैं। ऑनलाइन माध्यमों द्वारा ही नयी पीढ़ी तक प्रभावी ढंग से साहित्य पहुँचाया जा सकता है।
Created On :   10 Aug 2025 5:49 PM IST