विश्वगुरु बनना है भारत की नियति: समाज हितैषी कार्य करते हुए जन-जन तक पहुँचा संघ

- मध्यभारत प्रांत के संघ शिक्षा वर्गों प्रकटोत्सव समारोह सम्पन्न
- तीनों वर्गों में 801 स्वयंसेवकों ने लिया प्रशिक्षण
- संघ को उपेक्षा, उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रायसेन,सिरोंज एवं विदिशा में पिछले 15 दिवस से आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मध्यभारत प्रान्त के संघ शिक्षा वर्गों का प्रकटोत्सव समारोह अब सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर वर्ग के दौरान प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले स्वयंसेवकों ने सूर्य नमस्कार, योग, व्यायाम योग, दंड युद्ध, नियुद्ध और पदविन्यास का प्रभावी प्रदर्शन किया।
रायसेन में मुख्य वक्ता प्रांत संघचालक अशोक पांडेय ने कहा कि शुरुआती दौर में संघ को उपेक्षा, उपहास और अपमान का सामना करना पड़ा, फिर भी संघ समाज हित में निरंतर कार्य करते हुए जन-जन तक पहुंचा। वर्तमान में देशभर में संघ की लगभग 73,000 शाखाएं, हजारों मिलन और 40 से अधिक समविचारी संगठन सक्रिय हैं।
संघ शताब्दी वर्ष
उन्होंने पंच परिवर्तन के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ शताब्दी वर्ष में समाज में पाँच परोपकारी कार्य लेकर समाज की दृष्टि से कार्य कर रहा है जिसमें पर्यवारण जिसके द्वारा वृक्ष और जल का संरक्षण तथा सिंगल यूज़ प्लास्टिक मुक्त भारत, समरसता के माध्यम से समाज में व्याप्त क्लेश तथा जन्म आधारित छुआछूत और अस्पृश्यता को समाप्त करना, परिवार नामक हमारी संस्था के टूटने के कारण समाज में व्याप्त गिरावट को कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से रोकना, अपने गौरवशाली अतीत को याद कर उस पर गर्व करना अपने श्रेष्ठ ज्ञान/परंपराओं आदि का पुनः स्थापित करने "स्व बोध" का भाव जागरण करना एवं नागरिक शिष्टाचार के माध्यम से प्रत्येक नागरिक कर्तव्य व शासन-समाज के नियम और कानून का पालन कर सभी राष्ट्र को परम वैभव पर ले जाने के पवित्र कार्य मे सहयोगी बनें।
सिरोंज में प्रकटोत्सव समारोह की अध्यक्षता कर रहे श्री श्री 1008 ईश्वर दास जी ने आशीर्वचन ने देते हुए कहा कि स्वयंसेवक अपनी साधना एवं त्याग के बल पर समाज सेवा में रत रहते हैं। स्वयंसेवकों को यह शिक्षा शाखा एवं वर्ग के माध्यम से प्राप्त होती है।
मुख्यवक्ता प्रांत संघचालक डॉ राजेश सेठी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हर भारतवासी में राष्ट्रभक्ति एवं चरित्र निर्माण के लिए हुई थी। जिसका उद्देश्य व्यवस्था परिवर्तन से समाज परिवर्तन स्व के आधार पर करना है, यह संघ ही है जहाँ व्यक्ति आता है तो उसका अहंकार समाप्त हो जाता है एवं संस्कारों का निर्माण होने लगता है।
डॉ केशव बलीराम हेडगेवार जी ने संघ की स्थापना कोई आवेश में आकर नहीं की बल्कि बहुत सोच समझकर की थी। आज संघ शताब्दी वर्ष में है, समाज परिवर्तन करना होगा, व्यवस्था परिवर्तन करना होगा। संघ समाज परिवर्तन करने के लिए राष्ट्रीय चेतना का स्तर बनाने निकला है। भारतवासी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए प्राणों को न्यौछावर तक करने तैयार हैं।
स्वामी विवेकानंद कहते थे हर राष्ट्र का स्वभाव होता है, सर्वें भवन्तु सुखिनः भारत का स्वभाव है और विश्व गुरु बनना भारत की नियति है। यह भारत है जिसका स्व आधार है, भारत जहाँ गया संस्कृति देकर आया, समृद्धि देकर आया है। यह भारत है जिसमें स्व का स्वभिमान का भाव है, और यही भाव जागृत करना संघ का उद्देश्य है।
तीनों वर्गों में 801 स्वयंसेवकों ने लिया प्रशिक्षण :
विगत 15 दिनों से चल रहे इन शिक्षा वर्गों में संघ दृष्टि के 31 जिलों से आए 801 शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। आज समापन के अवसर पर शिक्षार्थियों ने 15 दिन में शिक्षा वर्ग में सीखे गए शारीरिक, योग, व्यायाम, दंड युद्ध, नियुद्ध, पदविन्यास, समरसता, सामंजस्य और समन्वय आदि के साथ ही घोष की विभिन्न मनमोहक रचनाओं का वादन कर कार्यक्रम देखने पधारे नगर के लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर नगर से युवा, मातृशक्ति, प्रबुद्धजन और गणमान्य नागरिक सहित नजदीकी ग्रामों से भी बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।
Created On :   3 Jun 2025 6:15 PM IST