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Mumbai News: फर्जी BARC वैज्ञानिक की गिरफ्तारी मामले में खुलासा - आरोपी ने 20 साल पहले बदली थी अपनी पहचान

- अख्तर की जगह अलेक्जेंडर पामर बनकर बनाए थे 3 पासपोर्ट
- मुंबई क्राइम ब्रांच और केंद्रीय एजेंसियों की जांच में कई और चौंकाने वाले खुलासे
- 20 साल पहले बदली थी अपनी पहचान
Mumbai News. वर्सोवा इलाके से गिरफ्तार किए गए फर्जी BARC वैज्ञानिक के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच और केंद्रीय जांच एजेंसियों की संयुक्त जांच में कुछ और सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं। जांच में पता चला है कि फर्जी भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) वैज्ञानिक अख्तर हुसैन कुतुबुद्दीन अहमद ने करीब 20 साल पहले अपनी असली पहचान बदलकर ‘अलेक्जेंडर पामर’ नाम से नया जीवन शुरू किया था। जांच एजेंसियों की जांच में सामने आया है कि उसने इस नाम से फर्जी दस्तावेज बनवाकर अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कीं, फर्जी डिग्रियों और पहचान पत्रों के सहारे सरकारी तंत्र को धोखा दिया और यहां तक कि तीन भारतीय पासपोर्ट भी हासिल कर लिए थे।
क्राइम ब्रांच सूत्रों के अनुसार, तलाशी में ऐसे सबूत मिले हैं जो साफ दर्शाते हैं कि उसने अलेक्जेंडर पामर के नाम से देश के भीतर और बाहर कई गतिविधियां संचालित कीं। उसके बार-बार विदेश जाने और जाली पहचान के जरिये यात्रा करने से जासूसी या संवेदनशील सूचनाएं बेचने की आशंका को बल मिला है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी( एनआईए) और खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी इस फर्जी पहचान नेटवर्क की जटिलता देखकर हैरान हैं। हुसैन ने न केवल दो दशक तक खुद को सफलतापूर्वक अलेक्जेंडर पामर के रूप में पेश किया, बल्कि इसके लिए फर्जी शैक्षणिक और पेशेवर दस्तावेजों की पूरी श्रृंखला तैयार की। जांच में बरामद दस्तावेजों में बिहार बोर्ड, रांची विश्वविद्यालय और बीजू पटनायक तकनीकी विश्वविद्यालय, राउरकेला के नाम पर 10वीं, 12वीं, बीएससी, बीई (मैकेनिकल) और एमबीए (सेल्स एंड मार्केटिंग) की डिग्रियां शामिल हैं। साथ ही, एक निजी कंपनी में सीनियर सेफ्टी मैनेजर के रूप में उसका फर्जी पहचान पत्र और अनुभव प्रमाणपत्र भी बरामद हुए हैं। पुलिस ने जब वर्सोवा स्थित उसके घर में तलाशी ली, तो तीन भारतीय पासपोर्ट मिले, जिन पर नाम अलेक्जेंडर पामर और पता जवाहरनगर, जमशेदपुर दर्ज था।
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यह रहस्य अब केंद्रीय एजेंसियों की जांच के केंद्र में है कि आखिर एक व्यक्ति ने एक ही नाम और पते पर तीन पासपोर्ट कैसे प्राप्त कर लिए।अलेक्जेंडर पामर के नाम पर बनाए गए आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस ने देश की आंतरिक सुरक्षा और दस्तावेज सत्यापन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हैरानी की बात यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद वह भारत लौटकर नए नाम से जिंदगी जीता रहा और अधिकारियों को धोखा देता रहा। अब जांच एजेंसियां पूरे देश में उसके ठिकानों और नेटवर्क की गहन छानबीन कर रही हैं। इस खुलासे ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े स्तर का फर्जीवाड़ा वर्षों तक कैसे चलता रहा और सिस्टम में ऐसी चूक कैसे संभव हुई? क्या यह सिर्फ पहचान बदलने का मामला है या इसके पीछे कोई अंतरराष्ट्रीय साजिश भी छुपी है। फिलहाल हुसैन से केंद्रीय एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं और उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है
Created On :   22 Oct 2025 10:06 PM IST