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बॉम्बे हाई कोर्ट: शिक्षा एवं खेल विभाग के प्रधान सचिव को राज्य के सभी मंडलों में 3 सदस्यों की उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश

- समिति में प्रत्येक मंडल के वरिष्ठतम उप निदेशक को अध्यक्ष बनाने और शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल करने का निर्देश
- पवित्र पोर्टल भर्ती प्रणाली का सभी संस्थानों के लिए कार्यात्मक रूप से प्रयोग करने का भी निर्देश
- राज्य के अनुदानित और गैर-अनुदानित निजी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता का मामला
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य भर के अनुदानित और गैर-अनुदानित निजी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता को लेकर शिक्षा एवं खेल विभाग के प्रधान सचिव को राज्य के सभी मंडलों में 3 सदस्यों की उच्च स्तरीय समिति बनाने का निर्देश दिया है। अदालत ने समिति में प्रत्येक मंडल के वरिष्ठतम उप निदेशक को अध्यक्ष बनाने और शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों को सदस्य के रूप में शामिल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार आदेश से 6 महीने की अवधि के भीतर एक पूर्णतः विश्वसनीय एसओपी प्रस्तुत किया जाए। इसे 15 मार्च 2026 को या उससे पहले तैयार किया जाएगा। निर्देशों के अनुपालन की सूचना 23 मार्च 2026 को अदालत को दी जाएगी।
न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति अश्विन भोबे की पीठ ने रायगढ़ के पाली स्थित सुधागढ़ तहसील की सुधागढ़ एजुकेशन सोसाइटी और आत्मोन्नति विद्यामंदिर एवं जूनियर कॉलेज सहित तीन अध्यापकों की याचिका पर कहा कि याचिकाकर्ता सुधागड एजुकेशन सोसाइटी द्वारा पवित्र पोर्टल भर्ती प्रणाली के माध्यम से एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की है। ऐसी कई शिक्षा सोसाइटियां होंगी, जिन्होंने इस प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की होगी। पीठ ने कहा कि हम स्कूल शिक्षा एवं खेल विभाग के प्रधान सचिव को निर्देश देते हैं कि वे महाराष्ट्र के प्रत्येक मंडल के लिए कम से कम 3 सदस्यों की एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें, जिसमें उस मंडल के एक वरिष्ठतम उप निदेशक शिक्षा को अध्यक्ष के रूप में शामिल किया जाए। इसमें शिक्षा विभाग के ऐसे अन्य अधिकारी भी शामिल हों, जो उस मंडल के शिक्षा अधिकारी के पद से नीचे के न हों।
पीठ ने कहा कि ऐसी समितियां संबंधित क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थानों, सोसायटियों और प्रबंधन का निरीक्षण करेंगी। वे उस विभाग के प्रमुख सचिव को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी, जो दोषी संस्थानों के खिलाफ उचित सुधारात्मक कार्रवाई शुरू करेंगे। इसमें ऐसे मामले जिनमें उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ने अनुमोदन प्रदान करने के आदेश पारित किए हों, वे शामिल नहीं होंगे। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि पवित्र पोर्टल भर्ती प्रणाली सभी संस्थानों के लिए कार्यात्मक हो और ऐसे संस्थानों को लॉगिन आईडी प्रदान की जाए।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को विभिन्न पहलुओं के मद्देनजर एक ‘मानक संचालन प्रक्रिया'(एसओपी) को औपचारिक रूप देना चाहिए, जिसमें पवित्र पोर्टल भर्ती प्रणाली की उपलब्धता, प्रत्येक प्रबंधन के लिए लॉगिन आईडी की उपलब्धता, प्रत्येक शिक्षा अधिकारी (उप निदेशक या शिक्षा निरीक्षक) के लिए 7 कार्य दिवसों का प्रतिक्रिया समय, प्रबंधन के संचार का लिखित रूप में जवाब देने, प्रत्येक जिला परिषद या नगर पालिका की वेबसाइट पर अधिशेष शिक्षकों के नाम लगातार अपलोड करें। इसका बड़े पैमाने पर समाचार पत्रों में विज्ञापनों के प्रकाशन का सख्त अनुपालन हो, जिनमें से एक क्षेत्रीय भाषा में होना चाहिए। आरक्षण रोस्टर का सख्ती से पालन किया जाएगा और विज्ञापनों में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए।
क्या था पूरा मामला
याचिकाकर्ताओं में व्यक्तिगत शिक्षक और शिक्षा समिति (उनके नियोक्ता) शामिल थे। वे समान पदस्थ कर्मचारी और प्रबंधन इस बात से व्यथित थे कि प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों की नियुक्ति के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत प्रस्ताव को शिक्षण सेवक के रूप में शिक्षा विभाग द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है। स्कूल प्रबंधन ने दलील दी कि शिक्षकों की भर्ती से पहले शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) के बीच बातचीत हुई थी, जिसमें प्रबंधन द्वारा संचालित विभिन्न विद्यालयों में रिक्तियों को भरने के लिए अधिशेष शिक्षकों के आवंटन की प्रार्थना की गई थी। याचिका में स्पष्ट रूप से दलील दी गई है कि याचिका दायर करने की तिथि तक पवित्र पोर्टल प्रणाली चालू नहीं थी। यह सभी याचिकाओं में प्रबंधन की मूलभूत दलील थी, जो अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान झूठा बयान साबित हुआ है
Created On :   20 Oct 2025 8:36 PM IST