वायुसेना ने MIG-21 के पूरे बेड़े की उड़ान पर लगाई रोक, बढ़ते हादसों की वजह से लिया गया फैसला

वायुसेना ने MIG-21 के पूरे बेड़े की उड़ान पर लगाई रोक, बढ़ते हादसों की वजह से लिया गया फैसला
  • विमान MIG-21 के उड़ान पर लगी रोक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हाल ही में उड़ान के दौरान लगातार हादसों का सामना कर रहे मिग 21 विमानों के पूरे बेड़े पर भारतीय वायुसेना ने रोक लगा दी है। हाल ही में राजस्थान में एक मिग 21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी भारतीय वायुसेना विश्व की सबसे बेहतरीन वायुसेनाओं ने शामिल है। बात चाहे आधुनिक तकनीक की हो, युध्द लड़ने की क्षमता की या फिर हाइटेक लड़ाकू विमानों की, भारतीय वायुसेना किसी से भी कम नहीं आंकी जा सकती है।

लेकिन फिर भी कुछ ऐसे पक्ष हैं जो अभी भी इस सफलतम वायुसेना के विकास के रास्ते में अड़चन बन रही है। उन्हीं में से एक है फ्लाइंग काफिन के नाम से मशहूर मिग-21 लड़ाकू विमान को उसके बढ़ते हादसों की वजह से पूरी तरह से उड़ान पर रोक लगा दी है। हाल ही में राजस्थान में हुए मिग-21 हादसे में हालांकि पायलट की जान बच गई लेकिन फिर भी भारतीय वायुसेना को भारी नुकसान हुआ है और साथ ही दो नागरिकों को भी अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ा। इसी वजह से सरकार की ओर से इस विमान के पूरे बेड़े पर उड़ान से प्रतिबंध लगा दी है।

पिछले 2 सालों में हुए हैं 5 से ज्यादा हादसे

5 जनवरी 2021: पिछले साल की शुरूआत में ही राजस्थान के सूरतगढ़ के पास मिग-21 क्रैश हो गया। हालांकि इस क्रैश में पायलट की जान बच गई थी।

17 मार्च 2021: ग्वालियर में कॉम्बैट ट्रेनिंग मिशन के दौरान मिग-21 क्रैश हुआ। इस क्रैश में वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शहीद हुए थे।

21 मई 2021: पंजाब के मोगा में एक बार फिर मिग-21 विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में विमान के पायलट शहीद हो गए थे।

25 अगस्त 2021: राजस्थान के बाड़मेर जिले के पास रेगुलर ट्रेनिंग के दौरान यह लड़ाकू विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट को बचा लिया गया था।

24 दिसंबर 2021: जैसलमेर में मिग-21 विमान हादसे का शिकार हो गया। इसमें हादसे में विमान के पायलट शहीद हो गए थे।

28 जुलाई 2022: राजस्थान के बाड़मेर में एक बार फिर से मिग-21 का ट्रेनर एयरक्राफ्ट क्रैश हुआ। इस दुर्घटना में विमान में मौजूद दोनों पायलट शहीद हो गए थे।

60 साल पुराना विमान क्यों इस्तेमाल कर रही भारतीय वायुसेना

मिग-21 को पहली बार साल 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। इसके बाद से समय समय पर इसको आवश्यकता अनुसार बदलाव करके इस्तेमाल किया गया। भारतीय वायुसेना के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा समय में वायुसेना पहले से ही लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है और यही वजह है कि इतने हादसो के बावजूद इस विमान को अबतक बेड़े से बाहर नहीं किया गया था।

गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान से लड़ने के लिए मौजूदा समय में आईएएफ को कुल 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है जबकि अभी उनके पास सिर्फ 32 स्क्वॉड्रन ही उपलब्ध है। हालांकि इस कमी की भरपाई करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने स्वदेशी कंपनी हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड HAL से 83 तेजस लड़ाकू विमानों की खरीदी के लिए 48 हजार करोड़ का सौदा किया था। अगर हम वर्तमान समय की बात करें तो भारतीय वायुसेना में मिग-21 के तीन स्क्वॉड्रन शामिल हैं। एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 विमान होते हैं। इस हिसाब से फिलहाल करीब 50 मिग-21 विमान वायुसेना में कार्यरत है। खबरों के अनुसार, 2025 तक वायुसेना चरणबद्ध तरीके से मिग-21 के तीनों स्क्वॉड्रन को सेवा से निष्काषित कर देगी।

Created On :   20 May 2023 6:50 PM IST

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